वाशिगंटन। शरीर में स्ट्रनम के ठीक पीछे एक छोटा सा फैटी ग्लैंड थाइमस होता है। इसे किशोरावस्था में बेकार ग्रंथि के तौर पर मान लिया जाता है और कई बार डॉक्टर भी इसे अनुपयोगी बताकर सर्जरी के जरिए हटा देते हैं। एक ताजा शोध में इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है कि इसमें उतनी अधिक वृद्धि नहीं होती है जितना सोचा जाता था। यूके के शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग थाइमस को सर्जरी के जरिए निकलवा देते हैं वो उम्र के किसी भी मोड़ पर बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं, यहां तक कि मौत का भी खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं कैंसर के होने की भी आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। पुख्ता तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि थाइमस, कैंसर या गंभीर बीमारी के लिए अकेले जिम्मेदार हो सकता है। जो अब तक जानकारी मिली है वो परेशान करने वाली है।
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बनाता है इम्यून सिस्टम को मजबूत
हार्वर्ड गैजेट में कैं सर विशेषज्ञ डेविड स्कैडन कहते हैं कि खतरे का स्तर अधिक है जो हम नहीं सोचते थे। बचपन में यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। जब जवानी में इसे हटाया जाता है तो उसकी वजह से मरीजों में टी-सेल में कमी आती है जो सफेद रक्त कोशिकाओं का ही एक प्रकार है। जबकि सफेद रक्त कोशिकाओं के जरिए कीटाणुओं और रोगों से
लड़ने में मदद मिलती है। यही नहीं ऐसे बच्चेजिनमें थाइमस नहीं होती है उनका इम्यून सिस्टम वैक्सीन के लिए कमजोर होता है।
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चौंकाते हैं आंकड़े
मरीजों के आंकड़ों से से पता चलता है कि जिन लोगों की कार्डियोथोरेसिक सर्जरी हुई थी, उनमें से 6 हजार से अधिक लोगों के थाइमस को हटाया नहीं गया था और करीब 1 हजार लोगों के थाइमस को हटाया गया था, जिनका हटाया गया था, उनकी मौत पांच साल के अंदर हो गई थी। यही नहीं सर्जरी के बाद पांच साल में वैसे रोगियों में कैं सर होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई थी। अभी पुख्ता तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि मौत या कैं सर के पीछे थाइमस का हटाना ही जिम्मेदार था, लेकिन कहीं न कहीं थाइमस हटाए जाने की वजह को इनकार नहीं किया जा सकता।