जालोर। राजस्थान में इन दिनों शादियों की धूम चल रही है। राजस्थान में होने वाली शादियों के विदेशों में भी चर्चाएं होने लगी है। यहां पर शादियां बिल्कुल शाही अंदाज में की जाती हैं। असल में यहां की सभ्यता और संस्कृति लोगों को बहुत भाती है। जिसके चलते यहां पर होने वाली शादियां लोगों को पसंद आती है। यहां के पारंपरिक और रीति-रिवाज से शादियां होती है।
राजस्थान में अलग-अलग समुदायों में अपने-अपने रीति-रिवाज से शादियां संपन्न होती है। वहीं कुछ जगहों पर पुरानी संस्कृति को भूलकर मॉर्डन बनने की धुन में अलग तरीके से शादी-ब्याह संपन्न होते है, लेकिन जालोर के भीनमाल उपखंड के मोरसीम गांव के एक डॉक्टर ने पारंपरिक तौर-तरीके से शादी की। दूल्हा डॉक्टर दिनेश देवासी ने अपनी शादी में पारंपरिक वेशभूषा पहनकर ऊंट पर बैठकर तोरण की रस्म को अदा किया।
इतना ही नही दूल्हा दिनेश की बारात में आने वाले सभी बाराती पुरानी संस्कृति को पुनः विकसित करने के लिए अपनी समाज की वेशभूषा से सज धज कर आए। बारात में शामिल होने के लिए सभी लोग लाल रंग का साफा और सफेद रंग की धोती कुर्ता पहनकर बारात में आए। डॉक्टर दिनेश अपनी होने वाली पत्नि मंजू देवासी पुत्री राणाराम देवासी सरनाऊ जो पेशे से नर्सिगकर्मी है। उनके साथ पारंपरिक वेश-भूषा में फेरे लिए।
दूल्हा बने डॉक्टर दिनेश देवासी ने बताया से जब पारंपरिक तौर-तरीकों से शादी करने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, मेरे दादा और पिता ने अपनी संस्कृति व रीति-रिवाज को मानते हुए शादी की थी, तो मैं मॉर्डन क्यों बनूं। डॉक्टर दिनेश देवासी की इस पहल का शादी में उपस्थित सभी मेहमानों ने स्वागत किया।