नेशनल हेराल्ड केस को लेकर ED की पूछताछ को लेकर कांग्रेस का पूरे देश में प्रदर्शन जारी है। उसने ED की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही उस पर राजनीति के दबाव में काम करने का भी आरोप लगाया है। इसे लेकर लोगों के मन में भी ED को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर ED क्या है, इसकी कार्यशैली कैसी है इसके अधिकार क्षेत्र क्या है? और सबसे बड़ा सवाल कि क्या सच में ED किसी दबाव में काम करता है? इन सबके जवाब आपको आज हम इस लेख में देंगे।
सबसे पहले आपको जानना होगा कि आखिर ED क्या है? अक्सर हम टीवी अखबार की खबरों में ED के छापे, उसकी कार्रवाई की तमाम खबरें देखते-सुनते हैं। दरअसल ED एक वित्तीय जांच एजेंसी है। इसकी स्थापना 1956 में हुई थी। यह केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करती है। इसका पूरा नाम Enforcement Directorate यानी प्रवर्तन निदेशालय है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। जहां पर सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाय़ा गया है।
इन मामलों में करता है कार्रवाई
ED मुख्य तौर पर FEMA ( Foreign Exchange Management Act-1999 ) से संबंधित मामलों, हवाला लेनदेन और फॉरेन एक्सचेंज रैकेटेरियरिगं के मामलों की जांच करती है। ED FEMA के उल्लंघन करने वाले मामलों का जांच करता है। इसमें निर्यात मूल्य को अधिक दिखाना और आयात को कम दिखाना, हवाला लेनदेन, विदेशों में संपत्ति की खरीद, भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का पास होना, विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार शामिल है। ED इन सभी मामलों की बेरोक-टोक जांच कर सकता है।
ED के पास यह हैं अधिकार
ED को इन नियमों के उल्लंघन की जानकारी केंद्र औऱ राज्य की खूफिया एजेंसियों, शिकायतों से मिलती है। प्रवर्तन निदेशालय यानि ED FEMA के उल्लंघन के दोषी पाए गए अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार है। इसके अलावा ब्लैक मनी को व्हाइट करने वालों पर भी उनकी तलाशी, खोज, जब्ती और गिरफ्तारी और अभियोजन की कार्रवाई भी करता है। ED मनी लॉऩ्ड्रिंग अधिनियम के तहत अपराधी पर कानूनी कार्रवाई भी करता है, जिसमें उनकी संपत्ति जब्त भी कर ली जाती है।
ED के देशभर में कई जोनल दफ्तर में है। मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, कोचीन, अहमदाबाद, बैंगलोर, हैदराबाद में प्रवर्तन निदेशालय में जोनल दफ्तर हैं।
नेशनल हेराल्ड केस में क्या जांच कर रही है ED
दरअसल भाजपा नेता और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में नेशनल हेराल्ड अखबार ( National Herald News Paper Case ) के खिलाफ पटियाला हाउसकोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कराया था। उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाला वोरा, ऑस्कर फर्नांडिज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इन पर नेशनल हेराल्ड अखबार को पैसों की हेराफरी हड़पने का आरोप लगाया था। 26 जून 2014 में कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सभी आरोपियों को समन जारी किया। 1 अगस्त 2014 को ED ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और मामला दर्ज किया। इसी मामले में ED सोनिया और राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है।
बता दें कि नेशनल हेराल्ड अखबार कांग्रेस का मुखपत्र था। इसका प्रकाशन साल 1938 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर किया था। इस अखबार को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया जाता था। बाद में यह अखबार घोटाले में चला गया था। और साल 2008 में बंद हो गया था। सोनिया और राहुल की हिस्सेदारी वाली एक कंपनी यंग इंडिया ने 2010 में AJL का अधिग्रहण कर लिया था। यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी सोनिया और राहुल गांधी की है। बाकी 24 प्रतिशत हिस्सा मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडिज का है।
यहां आरोप यह लगाया जा रहा है कि सोनिया राहुल की यंग इंडिया ने सिर्फ 50 लाख रुपए में ही AJL का अधिग्रहण कर लिया था। जबकि AJL की संपत्ति करीब 2000 करोड़ रुपए है। इन 2000 करोड़ रुपए का गबन करने का ही आरोप सोनिया और राहुल गांधी पर लगा है।
यहां एक बात और जानने वाली है कि AJL यानी एसोसिएट जर्नल लिमिटेड कांग्रेस की ही कंपनी थी। इस कंपनी पर 90 हजार करोड़ रुपए का कर्जा हो गया था। नेशनल हेराल्ड को इसी कंपनी के तहत ही बनाया गया था। इस AJL का कर्जा निपटाने के लिए ही कांग्रेस ने एक और कंपनी यंग इंडियन बनाई थी। इसमें सोनिया-राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत के पार्टनर है।