इंसान पिछले 50 साल से मंगल ग्रह पर कदम रखने को बेताब है। अब तक करीब 7 हजार किलो कचरा इंसान मंगल ग्रह पर फैला चुका है, लेकिन अभी तक लाल ग्रह पर कदम नहीं रख सका है। इंसानी कचरे की वजह से मंगल ग्रह अब कूड़ाघर में तब्दील होता जा रहा है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इस कचरे में हार्डवेयर, खराब हो चुके स्पेसक्राफ्ट और वे सैटेलाइट्स जो मंगल ग्रह पर क्रैश हो गए हैं, पड़े हुए हैं। इनमें खासतौर पर सोवियत संघ का मार्स ऑर्बिटर 2 भी शामिल हैं जिसने साल 1971 में क्रैश लैंडिंग किया था।
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शोधकर्ता कागरी किलिक ने मंगल ग्रह के सभी रोवर और ऑर्बिटर का विश्लेषण करके बताया कि मंगल ग्रह पर 15,694 पाउंड का मलबा अभी भी मौजूद है। इन मलबों की वजह से नासा के प्रिजरवेंस रोवर द्वारा इकट्ठा किए गए नमूने भी दूषित हो सकते हैं। नासा का यह रोवर मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन के सबूत तलाश रहा है।
थर्मल ब्लैंकेट से आ रहा था प्रकाश
तस्वीरों से पता चला कि रहस्यमय प्रकाश वास्तव में एक थर्मल ब्लैंकेट से आ रहा था। इस ब्लैंकेट का इस्तेमाल लैंडिंग के दौरान उच्च तापमान से स्पेसक्राफ्ट को बचाने के लिए किया गया था। पहले नासा के इंजेन्यूटी हेलिकॉप्टर ने एक तस्वीर खींची थी, जिसमें एक पैराशूट और कोन के आकार बैकशेल भी नजर आया था।
मंगल ग्रह पर कई खराब हो चुके रोबोट भी मौजूद हैं। नासा का अपॉर्चुनिटी है जो साल 2004 से लेकर 2018 तक सक्रिय था। इन सबकी वजह से मंगल पर कचरा जमा होता जा रहा है।
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रोवर ने खींची कचरे की तस्वीर
नासा के रोवर ने मंगल से जून में तस्वीर भेजी उससे लगा कि वहां रहस्यमय प्रकाश है। नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर नमूनों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया है, जिसे वापस धरती पर लाया जाएगा। इस दौरान रोवर ने मंगल ग्रह पर फै ले कचरे की भी तस्वीर को खींचा है। कुछ सप्ताह बाद नासा का रोवर होगवालो फ्लैट इलाके में पहुंचा और अच्छी क्वालिटी की तस्वीरें खींची।