Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के मध्यनजर दोनों ही पार्टी के नेता लगातार अपने करीबियों के साथ मिल कर टिकट लाने का प्रयास कर रहे है तो कुछ नेता ऐसे भी है जो समझ गए है कि पार्टी उनको अपना नहीं बना रही है। ऐसे में कई नेताओं ने तो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है।
राजस्थान में हाल ही में किसी को टिकट देने तो किसी के टिकट काटने को लेकर कई हंगाम वाली वीडियो भी वायरल हुए। इस बीच कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर एक पूराना किस्सा लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानते है इस पूराने राजनीति किस्से के बारें में…
टिकट को लेकर आज की भाग दौड़
जिन कार्यकर्ताओं की वजह से पार्टी सत्ता में आती है टिकट दावेदारी के दौरान पार्टी उन्हीं टिकट देना भूल जाती है। अपने प्रभाव के दम पर या धन बल के दम पर हर कोई टिकट के लिए जूगत लगाता है। टिकट मिलने के बाद चुनाव जितने के लिए साम दाम दंड भेद का प्रयोग करने से भी पीछे नहीं हटा जाता है। ऐसे में एक सामान्य कार्यकर्ता के पास न इतना पैसा होता है कि वो चुनाव लड़ सके ना ही उसको उम्मीद होती है कि पार्टी उस जैसे छोटे कार्यकर्ता को टिकट देगी। लेकिन साल 1998 में कांग्रेस ने एक सामान्य से कार्यकर्ता जो चप्पल की दूकान लगाता था। उस अपना दावेदार बना कर सभी को चौंका दिया।
किशन मोटवानी का बीमारी से हुआ था निधन
साल 1998 में अजमेर पश्चिम (अब अजमेर उत्तर) सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता किशन मोटवानी चुनाव ने चुनाव में अपनी जीत दर्ज की और उन्हें राजस्व मंत्री बनाया गया। साल 2002 में बीमारी के चलते किशन मोटवानी दूनिया को अलविदा कह गए। इसके बाद कांग्रेस के एक सामान्य कार्यकर्ता को टिकट दे दिया गया।
उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने बनाया था प्रत्याशी
मोटवानी की मृत्यु के बाद अजमेर पश्चिम की सीट खाली हो गई। इस सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी की को तौर पर तब दरगाह बाजार-मोतीकटला पर चप्पल की दुकान चलाने वाले नानकराम जगतराय को चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा। उप चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी और उद्यमी लक्ष्मणदास टिलवानी से हुआ। कांग्रेस के नए चेहरे के सामने टिलवानी काफी अनुभवी थे, लेकिन नानकराम की सादगी-सरलता को जनता का साथ मिला। वे 24 हजार 314 वोट हासिल कर चुनाव जीत गए।
जब गहलोत बोले- मुझे चाहिए सौ नानकराम…
उपचुनाव जीतने के बाद सीएम अशोक गहलोत का अजमेर में दौरा हुआ। नानकराम जगतराय की जीत के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए उस समय गहलोत ने कहा था कि मुझे सौ ऐसे नानकराम चाहिएं जो सादगी से अपना जीवन जीते हैं। ऐसे ही लोग राजनीति में आगे बढ़ते हैं। हालांकि बाद के विधानसभा चुनाव में नानकराम को दोबारा टिकट नहीं मिल पाया था।