Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में दोनो ही प्रमुख पार्टियों का फोकस राज्य की हर विधानसभा सीट पर है। लेकिन, राज्य में सत्ता बदलने में 200 में से 119 सीटे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। इसकी वजह ये है कि बीजेपी के लिए 60 सीटें तय हैं, जहां उसे हराना नामुमकिन है तो वहीं, 21 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस का का जलवा बरकरार है। यानी इन 81 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। वहीं, इसके अलावा 119 सीटों के मतदाता तय करते हैं कि सत्ता में कौन आएगा?
119 सीटों पर बदलता है मतदाता की मूड
दरअसल, ये 119 सीटें ऐसी हैं जहां मतदाता हर बार पार्टी या विधायक बदलते रहते हैं। इन सीटों पर मतदाता अपने क्षेत्र, चेहरे, जाति, सक्रियता आदि मुद्दों के आधार पर वोट करते रहे हैं। एक समाचार पत्र की रिपोर्ट से पिछले 11 चुनावों में सभी 200 विधानसभा सीटों पर जीत-हार की जानकारी मिली है, जहां कोई पार्टी लगातार 6 से 3 बार जीती हो या लगातार दो बार जीतने का मतलब की वह पार्टी का स्थाई गढ़ बन गया है।
जहां बीजेपी-कांग्रेस ने 4-5 बार जीत हासिल की
बाली में बीजेपी छह बार जीती. पाली में पांच बार, उदयपुर, लाडपुरा, राजगंजमंडी, सोजत, झालरापाटन, खानपुर, भीलवाड़ा, ब्यावर, फुलेरा, सांगानेर, रेवदर, राजसमंद, नागौर में चार बार जीत हासिल की। इसके साथ ही कोटा दक्षिण, बूंदी, सूरसागर, भीनमाल, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, मालवीय नगर, रतनगढ़, विद्याधर नगर, बीकानेर पूर्व, सिवाना, अलवर शहर, आसींद में तीन बार विजय प्राप्त हुई। जबकि 33 सीटों पर दो जीत मिलीं।
कांग्रेस सरदारपुरा (जोधपुर) में पांच बार, बाड़ी में चार बार, झुंझुनू, बागीदौरा, सपोटरा, बाड़मेर, गुढ़ामालानी, फतेहपुर में तीन बार जीती। साथ ही डीग-कुम्हेर, सांचौर, बड़ी सादड़ी, चित्तौड़गढ़, कोटपूतली, सरदारशहर समेत 13 सीटें जीतीं.
ऐसी सीटें जहां लंबे समय से बीजेपी या कांग्रेस जीतती आ रही है
- उदयपुर में 25 साल से कांग्रेस का खाता नहीं खुला है। 51 साल में हुए 11 चुनावों में से कांग्रेस को सिर्फ 1985 और 1998 में जीत मिली।
- भंवरलाल आखिरी बार 1993 में फ़तेहपुर से चुनाव जीते थे, उसके बाद बीजेपी यहां से कभी नहीं जीती।
- बस्सी में कांग्रेस आखिरी बार 1985 में जीती थी, लेकिन 38 साल में दोबारा नहीं जीत सकी। पिछले तीन चुनाव लगातार निर्दलीय जीत रहे है।
- 1998 के चुनाव में कोटपूतली में बीजेपी के रघुवीर सिंह ने जीत हासिल की थी, जिसके बाद बीजेपी वापसी नहीं कर पाई।
- सांगानेर में कांग्रेस से आखिरी बार इंदिरा मायाराम 1998 के चुनाव में जीती थीं, उसके बाद कांग्रेस यहां कभी नहीं जीत सकी।
- रतनगढ़ में आखिरी बार 1998 में कांग्रेस के जयदेव प्रसाद इंदौरिया जीते थे, जिसके बाद कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई।
- 1998 के विधानसभा चुनाव में सिवाना से कांग्रेस के गोपाराम मेघवाल ने जीत हासिल की थी, उसके बाद से कांग्रेस का खाता नहीं खुला है।