Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का रण पूरी तरह तैयार है। ऐसे में बीजेपी-कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल सक्रिय हैं। चुनाव से पहले हम राजस्थान की ऐसी विधानसभा सीट के बारे में बता रहे हैं, जिसका चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। पश्चिमी राजस्थान का सुदूर सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र शिव चुनावी दृष्टि से बेहद दिलचस्प रहा है।
सीट पर जातिय समीकरण
शिव विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी मुसलमानों की है, उसके बाद राजपूतों का नंबर आता है, जिनका सबसे ज्यादा दबदबा है। हालांकि, यहां अनुसूचित जाति के मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। इसके अलावा यहां जाट, प्रजापत, चारण और पुरोहित मतदाताओं की भी अच्छी मौजूदगी है। करीब 500 गांवों वाले शिव विधानसभा क्षेत्र में 1967 से अब तक हुए कुल 12 विधानसभा चुनावों में 7 बार कांग्रेस, दो बार जनता पार्टी और तीन बार बीजेपी ने जीत हासिल की है।
पुरुष प्रधान सीट रही है शिव विधानसभा
सबसे बड़ी खासियत यह है कि शिव को पुरुष प्रधान विधानसभा क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है, शिव के इतिहास में अब तक केवल एक महिला उम्मीदवार गोमती देवी थी, उन्हें केवल 330 वोट मिले थे, जबकि अब तक यहां एक भी महिला विधायक नहीं चुनी गई हैं। शिव विधानसभा क्षेत्र का इतिहास कहता है कि यहां के विधायक लगातार दो बार जीत हासिल नहीं कर पाते हैं, हालांकि अमीन खान 5 बार शिव से विधायक बने, लेकिन वे कभी भी लगातार दो बार जीतने में सफल नहीं हो सके। शिव के पहले विधायक हुकुम सिंह ने ही यह उपलब्धि हासिल की है।
सबसे बड़ी जीत-हार
शिव विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी जीत मानवेंद्र सिंह ने वर्ष 2013 में हासिल की थी, जिसमें उन्होंने 31425 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी, जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे छोटी जीत हुकुम सिंह के नाम थी, जो महज 9 वोटों से जीते थे।
RLP उम्मीदवार ने चौंकाया था
पिछले चुनाव में रालोपा ने यहां से उदाराम मेघवाल को चुनाव में उतारा था और उन्होंने 51 हजार वोट लेकर चौंका दिया था। आरएलपी यहां फिर ताकत लगाएगी। इन सब चर्चाओं के बीच कुछ माह पहले ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शिव क्षेत्र में एक बड़ी रैली करके गए थे।