Rajasthan Poltics : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि कांग्रेस में सियासी घटनाक्रम के तहत 25 सितंबर को दिए गए इस्तीफे महज पाखंड के अलावा और कुछ नहीं हैं। यदि पार्टी विधायकों को और मंत्रियों को इस्तीफा ही देना था तो फिर इस्तीफा देने के बाद सरकार के मंत्रियों को सरकारी बंगला, गाड़ी और सुरक्षा छोड़ देनी चाहिए थी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि अगर यह हकीकत है तो स्पीकर से इस बात के लिए अपील करें कि वे इस्तीफे मंजूर करें। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए पूनियां ने कहा कि 2023 के चुनाव में भी भाजपा, कांग्रेस से दो-दो हाथ करेंगी। इधर, इस मामले में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। 102 में से 92 इस्तीफे होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष को संविधान और नियमों के अनुसार उन्हें स्वीकार करना चाहिए। बीजेपी मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है। राठौड़ बोले कि इस मामले को लेकर बीजेपी जल्द राज्यपाल से भी मुलाकात करेगी।
92 विधायकों ने दिया था इस्तीफा
प्रदेश में नेतृत्व बदलाव की सुगबुगाहट के बीच 25 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने विधानसभा नियमों के हिसाब से बनाए गए इस्तीफे के फाॅर्मेंट में इस्तीफे लिखकर विधासभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर एक साथ व्यक्तिगत उपस्थित होकर सौंप दिए थे। अब ये इस्तीफे स्पीकर के पास हैं। इस पर अभी तक कोई फै सला नहीं हुआ है। नियमानुसार स्पीकर को ये इस्तीफे तुरंत प्रभाव से मंजूर करने थे।
कांग्रेस सरकार का अल्पमत में जाना तय
इस्तीफे को लेकर अधिकृ त रूप से विधानसभा सचिवालय या स्पीकर की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई। घटनाक्रम के दिन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मीडिया से कहा कि 92 विधायकों ने इस्तीफे सौंपे हैं। यदि इन इस्तीफों को लेकर राजनीति घटनाक्रम आगे बढ़ता है तो कांग्रेस सरकार का अल्पमत में जाना तय है।
चुप्पी के साथ आलाकमान पर नजर
इस्तीफा देकर बैठे गहलोत समर्थक विधायकों की नजर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए बदलाव की चर्चा के बीच आलाकमान के फै सले पर है। आलाकमान के फै सले के बाद ही इस्तीफा प्रकरण आगे बढ़ने की संभावना है। हालांकि मुख्य सचेतक महेश जोशी इस्तीफे के जरिए आलाकमान पर दबाव की किसी भी बात से इनकार करते हुए कहते हैं कि इस प्रकरण से आलाकमान पर दबाव बनाने की कोई नीयत नहीं है।
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