25 सितंबर की रात कांग्रेस की सीएलपी बैठक के दौरान हुई समानांतर बैठक में 92 विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर इस्तीफा देने के मामले में बड़ी खबर आई है। इस मामले को लेकर अब उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने कोर्ट में रिट दायर की है। सीपी जोशी को ज्ञापन देते वक्त भी उन्होंने कहा था कि अगर सीपी जोशी ने फैसला नहीं किया तो वे कानून की शरण में जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अभी तक इस्तीफे के मामले में कोई कार्यवाही नहीं की है। इसलिए राजेंद्र राठौड़ आज राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचे।
‘असंवैधानिक है इस्तीफा न स्वीकार करना’
राजस्थान हाईकोर्ट में रिट दायर करने के मामले में राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जब हम सभी भाजपा के प्रतिनिधियों ने मिलकर विधानसभा अध्यक्ष सीपी सीपी जोशी को ज्ञापन दे चुके हैं, फिर भी अभी तक विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही नहीं की है। वे खुद दलगत राजनीति से उठकर कार्य नहीं कर रहे हैं तो फिर हमें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। राठौड़ ने कहा कि मैंने खुद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को 3 से 4 बार पत्र लिख दिया है, फिर भी ये कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बालासाहेब पाटिल मामले में कहा गया है कि अगर विधायक अपना त्यागपत्र खुद दे रहे हैं तो उसे स्वीकार ही करना पड़ेगा। ये तो संविधान में भी लिखा है। इसलिए मैं संवैधानिक रूप से इसके लिए कोर्ट गया हूं। राठौड़ ने कहा कि ये लोकतंत्र का एक तरह से अपमान हो रहा है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष में ये जो इस्तीफे दिया गया है उसे तीन महीने बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
इसी मामले को लेकर भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य आज राजस्थान में नष्ट हो चुके हैं। हमने तो सीपी जोशी को ज्ञापन भी दिया, लेकिन इतने महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमने तो यह भी कहा का कि ये आपका ( सीपी जोशी ) विशेषाधिकार है आप इसका निर्णय करें। लेकिन फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। इसलिए अब हमें कोर्ट जाना पड़ा।
इस्तीफे पर भाजपा लगातार उठा रही है सवाल
बता दें कि कांग्रेस के 92 विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष को सामूहिक रूप से इस्तीफा देने के मामले में भाजपा लगातार सवाल उठा रही है कि अगर विधायकों ने इस्तीफा दिया है तो वे उसे स्वीकार क्यों नहीं करते और अगर स्वीकार नहीं करते तो आगे की क्या कार्रवाई क्या होगी। यहां हम आपको यह भी बता रहे हैं कि विधानसभा में किस स्थिति में विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है और किस स्थिति में नहीं होता।
इस स्थिति में स्वीकार होता है इस्तीफा
राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियमों के अध्याय 21 में लिखा है कि जो भी विधानसभा के सद्स्य अपने पद को त्याग करना चाहते हैं वो इस विचार की सूचना अध्यक्ष को पहले लिखित में देंगे। वहीं अगर कोई सदस्य व्यक्तिगत रूप से अपना इस्तीफा देता है और उसे सूचित करता है कि यह इस्तीफा वास्तविक और अपनी इच्छा से दिया गया है और अध्यक्ष को उसे विपरीत कोई सूचना या ज्ञान नहीं है तो अध्यक्ष तुरंत त्याग-पत्र स्वीकार कर सकेगा।
वहीं अगर यह इस्तीफा किसी डाक या पार्सल के जरिए विधानसभा अध्यक्ष को भेजा जाता है तो पहले अध्यक्ष इसकी सत्यता की जांच करेगा और अगर इसे वास्तविक नहीं पाया गया तो ऐसी सूरत में इस्तीफा स्वीकार नहीं होगा। वहीं कोई सदस्य अध्यक्ष के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले उसे वापस ले सकता है। आपको यह भी बता दें कि अगर अध्यक्ष किसी सदस्य का त्याग पत्र स्वीकार कर लेता है तो वह इसकी सूचना विधनासभा को देगा कि इस सदस्य ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है और इसे स्वीकार भी कर लिया गया है।