World Aids Day 2023 : जयपुर। एड्स संक्रमित मरीजों के इलाज में अब कई सारी दवाइयां लेने की जरूरत नहीं रही। इसके लिए बस एक ही दवा काफी है। नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के तहत अब एड्स संक्रमित मरीजों के लिए नई ‘टीएलडी’ दवा लागू की गई है। टीएलडी की डोज में टेनोफोविर, लैमीवुडिन व डॉल्यूटेग्राविर ड्रग शामिल की गई है। यह दवा मरीजों के लिए अधिक फायदेमंद है। अलग-अलग दवा लेने के बजाय इस एक ही दवा को लेने से एड्स के वायरस पर तेजी से असर होता है। शरीर में उसका वायरस लोड कम होता है।
नियमित रूप से चार हफ्तों तक दवा लेने के बाद वायरस का प्रसार कम हो जाता है। इसके साथ ही इस दवा को लेने पर मरीज के सेकंड लाइन ट्रीटमेंट पर जाने के चांस कम हो जाते हैं। बता दें कि पहले एड्स के मरीजों को अलग-अलग टाइप की ड्रग लेनी पड़ती थी। इससे मरीजों को दवा समय पर लेने में कई प्रकार की दिक्कतें होती थी। मगर, अब इस नई दवा से एक ही निश्चित समय में दवा लेकर एड्स के प्रसार को कम किया जा सकता है। वर्तमान में प्रदेशभर के लगभग सभी एआईटी के सेंटरों में नई दवा से ही इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
प्राइवेट अस्पताल में उपचार लेने वाले मरीज चुनौती
आज भी काफी लोग मरीज निजी अस्पतालों में ही इलाज के लिए जा रहे हैं। कई लोग अपनी पहचान नहीं बताना चाहते हैं। मानवाधिकार व निजता के अधिकार के कारण भी डॉक्टर्स निजी सेंटर पर उनका इलाज करते हैं। ये वे लोग हैं जो रिकार्ड पर नहीं आना चाहते हैं। जहां तक इलाज पर खर्च की बात है तो हर माह इनका 5 हजार तक रुपए इलाज पर खर्च होते हैं। समृद्ध लोग सरकारी सेंटर्स पर नहीं जाते हैं, जबकि सरकारी सेंटर्स पर काउंसलिंग और जांच व दवा फ्री में मिल रही है।
प्रदेश में 58 हजार मरीज रजिस्टर्ड
आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान स्टे एड्स कंट्रोल सोसायटी के अनुसार प्रदेश में एड्स की बीमारी के 58 हजार 574 मरीज रजिस्टर्ड हैं, लेकिन वास्तविक मरीजों की संख्या इससे कहीं अधिक है। अकेले जयपुर में एआरटी सेंटर पर 7 हजार 350 मरीज दवा ले रहे हैं। इस साल मार्च से अब तक 625 मरीज जयपुर में संक्रमित मिले हैं।
इस साल की थीम ‘लेट कम्यूनिटीज लीड’
इस साल वर्ल्ड एड्स डे की थीम लेट कम्यूनिटीज लीड है। एड् स की रोकथाम में समाज की अहम भूमिका के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इस थीम को चुना गया है। साथ ही अब तक एड्स के बचाव में समाज ने जो महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, उनकी सराहना करने के लिए भी इस थीम को चुना गया है।
एड्स या एचआईवी के बारे में समाज में मौजूद गलत अवधारणा के कारण, इसकी रोकथाम करना काफी मुश्किल होता है। समाज में नीची नजरों से देखे जाने की वजह से, लोग खुलकर इस बीमारी के बारे में बात नहीं करते और इससे बचाव नहीं हो पाता है। इस स्थिति को बदलने के लिए लेट कम्यूनिटटीज लीड का थीम चुना गया है।
नई दवा का दिख रहा है अच्छा असर
एसएमएस अस्पताल के एआरटी सेंटर के नाॅडल ऑफिसर डॉ. अभिषेक अग्रवाल के अनुसार एड्स के इलाज में नई दवा टीएलडी का अच्छा असर मरीजों में देखने को मिल रहा है। पहले की तरह अलग-अलग दवा लेने के बजाय इस एक ही दवा लेने से मरीजे के इलाज में बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा एसएमएस में ही इस बीमारी की वायरल लोड सैंपलिंग की सुविधा शुरु हो गई हे, जिससे 15 दिन में ही सैंपल का रिजल्ट आ जाता है। पहले दिल्ली व अन्य शहरों में सैंपल भेजना पड़ता था।
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