इतिहास के झरोखे से : मुर्दाबाद के नारे लगे तो सुखाड़िया ने हंसकर कहा था-इससे उम्र बढ़ती है

rajasthan assembly election : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया जब चुनावी सभा को संबोधित करने आए थे तो उन्हें कलो झंडे दिखाकर लोगों ने प्रदर्शन किया था।

Mohan Lala Sukhadia | Sach Bedhadak

राजस्थान के पूर्वी सिंहद्वार भरतपुर का गांधी पार्क मैदान। उन दिनों चुनावी सभाएं अक्सर लक्ष्मण मंदिर के सामने चौक पर अथवा गांधी पार्क के मैदान पर। अब तो दोनों स्थान अपना पुराना स्वरूप खो चुके हैं। अब बड़ी चुनाव रैली भरतपुर के पुराने मेला मैदान स्थित महाराजा सूरजमल स्टेडियम पर होती हैं। तो हम बात कर रहे थे-गांधी पार्क के मैदान की। निकट में शहर का बड़ा गुरुद्वारा था और बाद में पार्क के निकट सड़‌क पार डाक घर बना। पार्क से लगी सुजान गंगा नहर ऐतिहासिक लोहागढ़ दुर्ग के चारों ओर शहर की जीवनदायिनी मानी जाती थी। गांधी पार्क की चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया भरतपुर आए हुए थे। तब 1967 में लोकसभा का चुनाव था।

स्वाधीनता के पश्चात यह चौथा आम चुनाव था। तब लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं के चुनान एक साथ हुए थे। इसके पश्चात केन्द्र और राज्यों में अलग-अलग वर्ष में चुनाव सम्पन्न होने लगे। वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी बाबू राजबहादुर थे जो केन्द्र सरकार में मंत्री भी थे। उनके मुकाबले तत्कालीन भरतपुर रियासत के अंतिम शासक महाराजा सवाई बृजेन्द्रसिंह बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे।

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यह दिलचस्प चुनावी संघर्ष था। इससे पहले के दो लोकसभा चुनावों में स्वयं बृजेन्द्रसिंह कांग्रेस प्रत्याशी बाबू राजबहादुर का खुला प्रभावी प्रचार किया करते थे। महाराजा अक्सर अपनी गाड़ी में बाबू राजबहादुर को बिठाकर ले जाते थे। उन दिनों महाराजा के विरोधी उन्हें बाबू राजबहादुर के ड्राइवर के खिताब से संबोधित किया करते हैं। कहते हैं जिस तरह मौसम बदलता है, राजनीति में भी कब क्या फेरबदल हो जाए, इसका अनुमान लगाना इतना सरल नहीं होता।

एक तरफ राजस्थान के दिग्गज नेता के रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया और दूसरी तरफ केन्द्र में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले बाबू राजबहादुर। लेकिन कभी चुनावी मित्रता के प्रतीक बाबू राजबहादुर और तत्कालीन महाराजा बृजेन्द्र सिंह चुनाव मैदान में एक दूसरे के सामने ताल ठोक रहे थे। तब राजनीतिक क्षेत्रों में यह चर्चा आम थी कि इस चुनावी मैदान का परिदृश्य उपस्थित करने में सुखाड़िया की अहम भूमिका थी। उन्होंने तत्कालीन महाराजा को चुनाव लड़‌ने के लिए उकसाया था। लेकिन कांग्रेस पार्टी की दलीय राजनीति में वह बाबू राजबहादुर का चुनाव प्रचार करने की औपचारिकता पूरी करने आए थे।

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अब फिर लौट आते हैं-गांधी पार्क पर। सभा आरम्भ हो गई थी। अन्य वक्ताओं के अंत में सुखाड़ि‌या जी का भाषण आरम्भ हुआ। यह क्या हुआ- थोड़ी देर में काले झंडे लेकर कुछ लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे सुखाड़िया मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। अपनी मधुर मुस्कान से नारे सुनते हुए उन्होंने प्रदर्शनकारियों को धन्यवाद दिया। कहा कि जिनके लिए मुर्दाबाद का नारा लगाया जाता है उनकी आयु बढ़ जाती है। यह जवाब सुनते ही नारे बंद हो गए पर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाए।

गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार