जयपुर। प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में रविवार को दूसरे दिन भी मेघ गर्जन के साथ तेज हवा और बारिश का दौर जारी रहा। दूसरी तरफ कोटा समेत कई जगहों पर हल्की ओलावृष्टि भी हुई, जिससे फसल को नुकसान पहुंचा है। प्रदेश में रविवार को सबसे अधिक बारिश नागौर के जायल में 16 मिमी एवं सिरोही, आबूरोड में 8 मिमी दर्ज हुई। मौसम विभाग ने राजधानी समेत प्रदेश की कई जगहों पर होली एवं उसके अगले दो दिन बारिश समेत ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की है। दूसरी तरफ रविवार को राजधानी के ग्रामीण इलाकों के अलावा टोंक, बूंदी, कोटा, भीलवाड़ा, पाली, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, बारां, झालावाड़ एवं सवाईमाधोपुर जिले के आसपास के क्षेत्रों मे कुछ स्थानों पर दिन के समय हल्की बारिश हुई, जिससे यहा शाम को ठंडक रही और लोगों को हल्की सर्दी का अहसास हुआ। राजधानी में रविवार रात को हुई बारिश से सुबह के वक्त मौसम में ठंडक रही और दिन में कुछ जगह चली धूलभरी आंधी ने आमजन को परेशान किया। यहां रविवार को न्यूनतम तापमान 18.8 डिग्री रहा।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम कें द्र जयपुर के अनुसार प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी संभागों में होली एवं मंगलवार के दिन आंधी के साथ बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार सोमवार एवं मंगलवार को एक और नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से राज्य में पुन: आंधी बारिश की गतिविधियों में बढ़ोतरी होने की प्रबल संभावना है। इसके चलते जयपुर, भरतपुर, अजमेर, उदयपुर व कोटा संभाग में मंगलवार और बुधवार को एवं बीकानेर, जोधपुर संभाग में सोमवार और मंगलवार को मेघ गर्जन के साथ हल्के दर्जे की बारिश होने व कहीं-कहीं आंधी भी आने की संभावना है।
घटा न्यूनतम तापमान
राजधानी समेत कई जगह शनिवार-रविवार को हुई बारिश से न्यूनतम तापमान में हल्की गिरावट रही। राजधानी में शनिवार को न्यूनतम तापमान 20 डिग्री था जो रविवार को 18.8 डिग्री रहा। कोटा में तापमान शनिवार को 20.6 डिग्री था जो रविवार को 17 डिग्री, बाड़मेर में शनिवार को 21.3 डिग्री था जो रविवार को घटकर 19.4 डिग्री दर्ज किया गया।
ओलावृष्टि से हुई फसल खराब
प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से कई जगह किसानों की खेत में कटी रखी फसल खराब हो गई। रविवार को बाड़मेर समेत कई इलाकों में फसल खराब को लेकर किसानों ने ज्ञापन दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें खराब फसल का मुआवजा दिया जाए। गौरतलब है कि जहां पछेती सरसों की फसल खेत में सूखने के लिए रखी थी जो ओलावृष्टि और बारिश की वजह से खराब हो गई या होने की स्थिति में है।