अजमेर। आज दो दिवसीय मेगा जॉब फेयर का दूसरा और आखिरी दिन हैं। आज सीएम अशोक गहलोत भी यहां आएंगे, जिसके लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ यहां स्थानीय विधायकों को तवज्जो नहीं दिए जाने की बात भी सामने आ रही है। इसे लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने अधिकारियों को फटकार लगाई है और इस मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा हैै।
विशेषाधिकार हनन का आरोप
वासुदेव देवनानी ने मेगा जॉब फेयर का निमंत्रण कार्ड देने आए कौशल, रोजगार और उद्यमिता विभाग के निदेशक और उनके साथ आए दो अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने जॉब फेयर का कांग्रेसीकरण करने, प्रोटोकॉल की उपेक्षा कर अजमेर के विधायकों को सम्मान नहीं देने और विशेषाधिकार का हनन करने पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि सरकारें तो आती-जाती रहती हैं, लेकिन अधिकारियों को नियमों और प्रोटोकॉल की पालना करनी चाहिए।
विधायकों में सिर्फ रघु शर्मा और राकेश पारीक का नाम
बीते गुरूवार ये अधिकारी देवनानी को कार्ड देने के लिए गए तो वे कार्ड देखकर हैरान रह गए। इस कार्ड में बतौर विशिष्ट अतिथि सिर्फ केकड़ी के विधायक रघु शर्मा और मसूदा के विधायक राकेश पारीक के नाम हैं, लेकिन अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण की विधायक अनिता भदेल के नाम नहीं हैं।
जानबूझकर प्रोटोकॉल का उल्लंघन
देवनानी ने कार्ड देखकर निदेशक और दूसरे अधिकारियों से पूछा, क्या उन्हें प्रोटोकॉल का पता है या नहीं, या फिर जानबूझकर इसकी अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा, जब विधानसभा अध्यक्ष की ओर से यह निर्देश जारी किए हुए हैं कि कहीं भी अगर कोई सरकारी कार्यक्रम हो, तो उसमें स्थानीय विधायकों को भी ना केवल सम्मान के साथ आमंत्रित किया जाए, बल्कि निमंत्रण पत्र में भी उनके नाम दिए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने जानबूझकर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है, जिसे वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग
इस मामले को लेकर देवनानी ने विधानसभा अध्यक्ष को भी पत्र भेजा है, जिसमें प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। उन्होंने पत्र की कॉपी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी भेजी है। पत्र में देवनानी ने कहा कि यह जॉब फेयर केवल अजमेर का नहीं है। इसलिए जिले के सभी विधायकों को भी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सम्मान दिया जाना चाहिए था, जो अधिकारियों ने कांग्रेस सरकार के इशारे पर नहीं दिया है। कार्ड देखकर ऐसा लगता है कि यह सरकार का नहीं, केवल कांग्रेस का कार्यक्रम है। इस सरकारी जॉब फेयर का पूरी तरह कांग्रेसीकरण कर दिया गया है।
चुनाव नजदीक, युवाओं को लालच, नहीं होंगे गुमराह
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार साढ़े चार साल तक सोती रही। सत्ता में आने के बाद से अब तक उसे युवाओं को रोजगार देने की सुध नहीं आई। अब चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए युवाओं को रोजगार दिलाने का प्रलोभन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवा कांग्रेस सरकार की इस चाल को अच्छी तरह जानते और समझते हैं, इसलिए वह गुमराह नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने ऐसे प्रयास पहले किए होते, तो अब तक हजारों युवाओं को रोजगार मिल गया होता। उन्होंने कहा कि यह सब कांग्रेस सरकार की चुनाव में महज वोट बटोरने की चाल है, लेकिन कांग्रेस को अपने ही कर्मों का खामियाजा चुनाव में भुगतना होगा।
( रिपोर्ट- नवीन वैष्णव)