जयपुर। पूर्व डीजीपी उमेश मिश्रा (Umesh Mishra) की आखिरकार तीन बाद पुलिस मुख्यालय से विदाई की गई। हालांकि रिटायरमेंट लेने के तीन बीत गए थे, ऐसे में सिविल ड्रेस के कारण उनको गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। जबकि सालाें से डीजीपी की विदाई के दौरान निभाई जा रही परम्परा कार को रस्सों से बांधकर उनको मुख्यालय के बाहर तक छोड़ने की निभाई गई। इस दौरान पुलिस मुख्यालय के सभी एडीजी, आईजी, एसपी व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
सच बेधड़क ने उमेश मिश्रा के वीआरएस लेने के बाद परम्परागत रूप से हर बार निभाई जाने वाले रस्म किए बिना ही उनको पुलिस मुख्यालय से विदा करने का मामला उठाया था। खबर प्रकाशित होने के बाद सोमवार को पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने मिश्रा का विदाई कार्यक्रम उचित समझा।
हालांकि कार्यक्रम को लेकर पुलिस मुख्यालय के अफसरों में दो फाड़ हो गए थे। कुछ अफसरों का कहना था कि तीन दिन बाद वर्दी में मिश्रा को कैसे विदाई दे सकते हैं। बाद में कुछ अफसरों ने सिविल ड्रेस में मिश्रा की विदाई पर सहमति दी। तब जाकर अचानक उनके विदाई का कार्यक्रम तय किया गया।
शुक्रवार रात लिया था वीआरएस
डीजीपी पद से उमेश मिश्रा ने शुक्रवार रात को अचानक वीआरएस लिया था। चर्चा है कि उस दिन सीएम भजनलाल दिल्ली गए थे और उनके दिल्ली जाने के बाद मिश्रा ने वीआरएस लिया था। वीआरएस लेने के बाद सरकार ने होमगार्ड डीजी यूआर साहूको डीजीपी पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था।
इसके बाद शनिवार को साहू ने डीजीपी पद का कार्यभार संभाला था। शनिवार को साहू ने इसलिए कार्यभार संभाला था कि उनके कार्यकाल के उस दिन से छह माह बचे थे। ऐसे में कोर्ट के आदेशों के तहत नियमित रूप से डीजीपी पद पर रहने के लिए छह माह का कार्यकाल जरूरी होता है। ऐसे में उन्होंने कार्यभार संभाला था।
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