Govind Singh Dotasra vs Rajendra Rathore Twitter war : जयपुर। कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा और बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ के बीच शुरु हुआ ‘ट्विटर वॉर’ थमने का नाम नहीं ले रहा है। आधी रात की शांति के बाद एक बार फिर दोनों नेताओं के बीच ट्विटर वॉर छिड़ गया है। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने शुक्रवार को बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ पर तंज कसते हुए कहा कि वक्त बताएगा…कौन कहां जाएगा और कौन कहां आएगा?
दरअसल, दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को दिनभर सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा। देर रात राठौड़ ने डोटासरा पर निशाना साधते हुए कहा कि 4 बार की जीत से ही अगर आपने स्वाभिमान और अहंकार के अंतर को भुला दिया, कहीं एक बार और जीत आए तो मोदी जी के बनाए सिक्स लेन हाइवे से आगरा ले जाना पड़ेगा।
राठौड़ के आगरा ले जाने बयान के बाद शुक्रवार को डोटासरा ने पलटवार करते हुए कहा कि कौन कहां जाएगा और कौन कहां आएगा, ये वक्त का पहिया बताएगा। आपके बयानों के ओछेपन की मीनार में आगरा वाला अनुभव ख़ूब झलक रहा है, बात करते हैं विनम्रता की!! होती है जिनमें अदब और शिष्टता, वो दिखाते नहीं हीनता और निकृष्टता। राजनैतिक रूप से ज़िंदा होने की सीढ़ी कोई और ढूंढिए।
डोटासरा को राठौड़ की नसीहत…इधर-उधर की ना बात कर
जिस पर राजेंद्र राठौड़ ने डोटासरा को सीधे-सीधे नसीहत देते हुए कहा कि तू इधर उधर की न बात कर बस ये बता कि बेरोज़गारों के भरोसे के क़ाफ़िले क्यूं लुटे जो रहबर थे वे राहजन क्यों बने? हिफ़ाज़त ऐसी ना हो कि हफ़ीज़ ग़ायब हो जाए, दवा ऐसी ना हो कि मरीज़ ही ग़ायब हो जाए लोकतंत्र की इस जंग में जीत चाहे हमारी हो या तुम्हारी, पर लफ़्ज़ ऐसे ना हों कि तमीज़ ग़ायब हो ज़ाए। बहरहाल, अब आपकी “विशेषज्ञता” परवान चढ़ने लगी है मानसिकता और भाषा की निम्नता साफ़ दिखने लगी है यानि सभ्यता के लिए ख़तरे की घंटी बजने लगी है।
आधी रात राठौड़ ने किया था ये ट्वीट
बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने देर रात ट्वीट किया था कि तुम्हारी और मेरी राहें अलग-अलग तो होनी ही है क्योंकि तुम जहां को जा रहे हो मैं वहीं से आ रहा हूं। 4 बार की जीत से ही अगर आपने स्वाभिमान और अहंकार के अंतर को भुला दिया, कहीं एक बार और जीत आए तो मोदी जी के बनाए सिक्स लेन हाइवे से आगरा ले जाना पड़ेगा। मुझे भी गर्व है कि आपसे दोगुनी बार जीतने के बाद भी विनम्रता अभी जीवंत है क्योंकि यह भाजपा है, छल प्रपंच का अखाड़ा नहीं। जरा होश की बात करो, अब यहां नाथी का बाड़ा नहीं। जो करा है, वो ही सर्टिफ़िकेट में भरा है, मेहनत से 4-4 अभ्यर्थियों के एक जैसे अंक लाने से पहले सोचना था कि नम्बर तो थोड़े कम ज़्यादा कर लेते…नहीं सोचा, चूक हुई , इसीलिए सर्टिफ़िकेट दिया गया है। इसका भी दोष दूसरों पर ? बच्चे सभी के पढ़ेंगे और कामयाब भी होंगे “बशर्ते” पिछले दरवाज़े से पास होने वाले “फॉर्मूला” बाज़ों से बच सके “बशर्ते” किसी ख़ुदगर्ज़ के “कलाम” उनकी राह के रोड़े ना बने।
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