Sawai Mansingh Townhall : जयपुर। पुरानी विधानसभा भवन (सवाई मानसिंह टाउनहॉल) और लेखाकार कार्यालय राज्य सरकार के पास ही रहेगा। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने पूर्व राजपरिवार के सदस्यों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। जस्टिस नरेंद्र कुमार ढड्ढा की अदालत ने पद्मिनी देवी और अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह दोनों संपत्तियां सरकार के पास ही रहेगी। अदालत ने 4 अगस्त को मामले में सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दरअसल, पूर्व राजपरिवार की ओर से हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी कि मानसिंह टाउनहॉल और जलेब चौक परिसर स्थित लेखाकार कार्यालय को कोवेनेंट में निजी संपत्ति माना गया था और सरकार को उसके उपयोग के लिए लाइसेंस पर दिया गया था।
इसके अनुसार जब तक सरकार इस संपत्ति को उपयोग में लेगी। तब तक वह इसका रखरखाव करेगी, लेकिन अब जिस उद्देश्य से यह संपत्तियां सरकार को दी गई थी। उस उद्देश्य से सरकार इनका उपयोग नहीं कर रही है। ऐसे में यह संपत्तियां वापस दिलाई जाएं।
सरकार दोनों परिसरों का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कोर्ट में कहा कि कोवेनेंट में दोनों संपत्तियां राज्य सरकार को देने के बारे में लिखा गया है। सरकार को यह संपत्ति कोवेनेंट से मिली है, न कि लाइसेंस के जरिए। कोवेनेंट को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
जिस दिन कोवेनेंट लिखा गया था, उस समय वहां विधानसभा अस्तित्व में ही नहीं थी। ऐसे में सरकार उपरोक्त परिसरों का कोई भी उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है। ऐसे में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने 4 अगस्त को फै सला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को फै सला सुनाते हुए अदालत ने सरकार के पक्ष में फै सला दिया।
पहले चलती थी विधानसभा, अब बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम
सवाई मानसिंह टाउनहॉल में पहले राजस्थान विधानसभा चलती थी। साल 2000 के बाद यहां से विधानसभा ज्योति नगर में नए भवन में शिफ्ट हो गई। इसके बाद राज परिवार ने 7 अगस्त 2019 को कोर्ट में दावा पेश कर सरकार से वो टाउनहॉल वापस देने को कहा। अधीनस्थ कोर्ट ने पूर्व राजपरिवार की अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना- पत्र को खारिज कर दिया था।
इसके खिलाफ पूर्व राजपरिवार ने हाई कोर्ट में अपील की थी। अब राज्य सरकार यहां सौ करोड़ रुपए में अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाना चाहती है। इस पर काम भी शुरू हो गया था। हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था। आज सरकार के पक्ष में फै सला आने के बाद अब वो स्टे भी हट गया है।
आजादी के बाद सरकार को मिली ये प्रमुख संपत्तियां
जयपुर के पूर्व राजपरिवार ने विलय के बाद दो तरीके से अपनी संपत्तियां राज्य सरकार को हस्तांतरित की थी। एक तरीका स्थाई था, जिसे पूरी तरह से राज्य सरकार को सौंप दिया गया था। राजस्थान सरकार को स्थाई तौर पर कई संपत्तियां सौंपी गईं, जिनमें राजस्थान यूनिवर्सिटी के लिए 500 बीघा जमीन, राजस्थान शासन सचिवालय, एसएमएस अस्पताल, महारानी और महाराजा कॉलेज, और सवाई मान सिंह स्टेडियम शामिल हैं।
वहीं, दूसरे तरीके में मालिकाना हक तो पूर्व राजपरिवार का था, लेकिन संपत्ति राज्य सरकार को सरकारी कामकाज के लिए इस्तेमाल को दे दी गई। इसे लाइसेंस पर दी गई संपत्तियां (कोवेनेंट) माना गया। भवानी सिंह ने 1972 में महाराजा सवाई मानसिंह-द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट को कुछ संपत्तियां सौंप दीं। यह ट्रस्ट राज परिवार का ही है। ट्रस्ट में सवाई मानसिंह टाउनहॉल (पुरानी विधानसभा), पुराना पुलिस हेड क्वार्टर (अब हेरिटेज निगम कार्यालय), राजेंद्र हजारी गार्डबिल्डग, जलेबी चौक परिसर स्थित संपत्तियां, जनानी ड्योढ़ी शामिल हैं।
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