नई दिल्ली। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार रिपीट होने जा रही है। सचिन पायलट फैक्टर से भी कांग्रेस को कोई नुकसान होता नहीं दिख रहा है। ऐसे संकेत यहां अलग-अलग सर्वे करवा रही एजेंसियों के सूत्र बताते हैं। इसमें कांग्रेस के लिए एक शुभ संकेत यह भी है कि बीजेपी का वोट प्रतिशत पिछली बार की तुलना में घट रहा है। लोकप्रियता के मामले में मुख्यमंत्री गहलोत बहुत आगे चल रहे हैं। सूत्रों का यहां तक कहना है कि बीजेपी के आंतरिक सर्वे भी चिंताजनक आ रहे हैं, जबकि ठीक इसके विपरीत कांग्रेस की तरफ से कराए जा रहे सर्वे में राजस्थान समेत तीनों हिंदी भाषी प्रदेशों में कांग्रेस की वापसी तय दिख रही है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस बहुत आगे हैं। हालांकि बीजेपी उम्मीद कर रही है कि चुनाव तक कुछ बदलाव होगा। राजस्थान में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ाने में मुख्यमंत्री गहलोत की तरफ से खुद लगाए जा रहे राहत महंगाई बचत कैंपों की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। सर्वे करवा रही एजेंसियों के सूत्र बताते हैं कि आमजन को गहलोत की योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है।
दूसरा मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ कोई भी नाराजगी न होने से जनता का रुख इस बार कांग्रेस की तरफ बना हुआ है। जनता एक तरह से रिवाज बदलने का मन सा बना चुकी है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि गहलोत सरकार की पुरानी पेंशन व्यवस्था, बिजली बिलों में छूट, 500 का गैस सिलेंडर, 25 लाख तक का फ्री इलाज वाली चिरंजीवी योजना, मुफ्त अनाज जैसी ऐसी कई स्कीम हैं जिनका केंद्र सीधे विरोध कर रहा है।
PM मोदी तक कर चुके हैं योजनाओं का विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन तक योजनाओं का खुलकर विरोध कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मुख्यमंत्री गहलोत की योजनाओं को मुफ्त की रेवड़ी करार दे विरोध जता चुके हैं। बीजेपी एक भी योजना का समर्थन नहीं कर रही है। आमजन के यह बात समझ में आने लगी है कि बीजेपी अगर सत्ता में आई तो सब योजनाएं बंद कर दी जाएं गी। इसलिए कांग्रेस राजस्थान में बहुत मजबूत स्थिति में दिख रही है। कांग्रेस की गुटबाजी और टूटफूट पर भी योजनाएं हावी दिखाई दे रही हैं।
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अपने ही जाल में उलझे पायलट
बागी तेवर अपनाए सचिन पायलट का मामला है तो उसमें वह खुद उलझ गए हैं। जो मांग सचिन कर रहे हैं। उनमें से एक भी ऐसी नहीं है जिसे कोई भी सरकार मान ले या सही हो। पेपर लीक मामले का सवाल है तो कई राज्य इससे प्रभावित हैं। बीजेपी शासित सबसे ज्यादा हैं। इन राज्यों में तो दोषियों का पता भी नहीं लगा, जबकि राजस्थान में दोषियों को पकड़ कारवाई की गई है। जहां आरपीएससी को भंग करने की मांग है तो यह अधिकार राष्ट्रपति के पास।
एक तरह से सचिन फिजूल मांग कर खुद ही फं स गए। अब खुद को बचाने के लिए नई पार्टी बनाने जैसी बात कर कार्यकर्ताओं में भ्रम फैला रहे हैं। एक तरह पार्टी का नुकसान कर रहे हैं। ये संकेत मिल रहे हैं कि उनका लक्ष्य कांग्रेस को नुकसान पहुंचाकर राज्य सरकार की जनहित की योजनाओं को बंद करवा बीजेपी की मदद करना है।
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