जयपुर। आमजन को राहत और विकास को गति मिले, इसी सोच के साथ जयपुर शहर को दो नगर निगम में बांटा गया था, लेकिन ढाई साल से हेरिटेज नगर निगम में नजारा कुछ अलग ही दिख रहा है। यहां ढाई साल से वि आपसी खींचतान को ही तवज्जो दी जा रही है। विकास कार्यों की बात करें तो कोई भी ऐसा बड़ा प्रोजेक्ट शहरी सरकार के इस कार्यकाल में पूरा नहीं हो पाया है।
यह तो तब है जबकि राज्य और शहरी सरकार दोनों कांग्रेस की हैं। फिर भी आज तक पक्ष और विपक्ष दोनों ही जनता के मुद्दों के बजाए अपने स्वार्थ की लड़ाई ज्यादा लड़ते नजर आए हैं। चाहे समितियों का गठन हो या टेण्डर प्रक्रिया, दोनों ही पक्ष के पार्षद एक राय नहीं हो सके।
महापौर अभी तक सिर्फ एक साधारण सभा की बैठक करवा पाई हैं, जो भी हंगामे की भेंट चढ़ गई। पार्षदों द्वारा बदसलूकी और अभद्र भाषा के मामले में आरएएस परिषद ने आपत्ति जताई है। परिषद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन देकर निष्पक्ष कार्रवाई और आरएएस अधिकारियों को सुरक्षा देने की मांग की है।
समिति गठन से लंपी महामारी तक सिर्फ तकरार
पिछले ढाई साल में बड़े मुद्दों की बात करेंं तो कोराेना महामारी में भी कई बार अपने स्वार्थ के लिए दोनों पार्टी के पार्षद टकराते नजर आए, राशन वितरण हो या कोरोना वैक्सीन। लोगों के सामने ऐसे विडियो भी आए, जिनमें जनप्रतिनिधि आमजन के दर्द को भुला अपने स्वार्थ में लड़ते दिखे। इसके अलावा लंपी महामारी के दौरान निगम मुख्यालय में हुए यज्ञ की रार भी सबके सामने है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए पार्षदों ने गायों का भी सहारा लिया।
बीट कर्मचारी के लिए धरना पॉलिटिक्स
अब पार्षद जनता की समस्याएं भूल 5 अस्थाई कर्मचारियों के लिए धरना पालिटिक्स में लग गए, जबकि मानसून नजदीक है। शहर के नालों की सफाई अभी नहीं हो पाई है। जिन अस्थायी कर्मचारियों के लिए ये विवाद शुरू हुआ, वे हर साल पार्षदों को स्वयं के लिए दिए जाते है। विवाद यह है कि जो ठेकेदार पिछले साल तक न्यूनतम दरों पर टेण्डर लेता था, इस बार उसकी बजाए 20 प्रतिशत में नए ठेकेदार को टेण्डर दिया जा रहा था। इस टेण्डर को पास करने वाली समिति के मुखिया अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा हैं, इसलिए विवाद भी उन्हीं से शुरू हुआ है।
प्रभावित हो रहे विकास कार्य
नगर निगम चुनावों में जनता के द्वारा चुने गए पार्षद और महापौर कोई काम अपनी इच्छा से नहीं कर पा रहे है। कारण स्थानीय विधायक उन्हें फ्री हेण्ड नहीं छोड़ रहे हैं। चारों विधायकों में आपसी खींचतान से कोई कार्य समय पर नहीं हो पा रहे हैं।
चार दिन का अल्टीमेटम
महापौर के विरोध में धरना देने पहुंचे भाजपा पार्षदों ने 4 दिन का अल्टीमेटम दिया है। पार्षद राखी राठोड़ ने बताया कि सरकार महापौर का इस्तीफा स्वाकार करे या फिर अभद्रता की न्यायिक जांच करा विवाद को सुलझाए। चार दिन बाद भाजपा बड़ा प्रदर्शन करेगी।
गुटबाजी में फंसे दोनों पार्टी के पार्षद, नुकसान जनता का
पिछले चार दिन से हेरिटेज निगम में चल रहे विवाद में अब भाजपा भी उतर चुकी है। भाजपा के पार्षदों ने सोमवार को महापौर और पार्षदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सांकेतिक धरना दिया। हेरिटेज निगम में भाजपा के कुल 42 पार्षद हैं, जिनमें एक निर्दलीय है। प्रदर्शन में करीब 14 पार्षद ही पहुंच पाए। इसी तरह कांग्रेस के 48 पार्षद है और 10 निर्दलीयों का समर्थन प्राप्त है। इनमें महापौर के साथ धरने के पहले दिन 47 पार्षद थे, चार दिन में घटकर उनकी संख्या करीब 25 ही रही।
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