Ashok Gehlot : नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजस्थान माॅडल का जादू कर्नाटक में जोरदार ढंग से चला। कर्नाटक की बड़ी जीत से जहां पूरी कांग्रेस को ऑक्सीजन मिली है, वहीं राहुल गांधी ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं। इस जीत ने बीजेपी की रणनीति को भी गड़बड़ा दिया है। बीजेपी की अभी तक पीएम मोदी के चेहरे पर राज्यों में चुनाव लड़ने की रणनीति थी, लेकिन अब इसे बदलना पड़ सकता है। दरअसल, हिमाचल के बाद कर्नाटक में मिली करारी हार ने बीजेपी के सारे समीकरण गड़बड़ा दिए हैं।
इस रणनीति के तहत कर्नाटक में मोदी ने भी प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। यही नहीं, बजरंग बली के नाम पर ध्रुवीकरण की राजनीति भी जनता को पसंद नहीं आई। इसका सीधा लाभ कांग्रेस को राजस्थान में मिलेगा। बीजेपी के पास गहलोत की जनकल्याणकारी योजनाओं और राहत कैंपों का कोई तोड़ नहीं है, इसलिए पूरा फोकस ध्रुवीकरण की राजनीति पर था। अब बीजेपी को नवंबर में होने वाले चुनाव में राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए भी नई रणनीति बनानी होगी। इन राज्यों में जीत-हार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का रास्ता तैयार करेगी।
सीएम गहलोत को मिलेगी खुली छूट
कर्नाटक के नतीजों ने कांग्रेस आलाकमान को बड़ी ताकत दी है। इसका सीधा लाभ गहलोत को मिलेगा। आलाकमान का गहलोत सरकार के विरोधियों, सचिन पायलट और उनके समर्थकों पर जल्द करवाई करना तय है, क्योंकि सचिन ने आलाकमान के मना करने के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जन संघर्ष यात्रा निकाली। आलाकमान कर्नाटक में भारी जीत का ही इंतजार कर रहा था। समझा जाता है कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह के बाद आलाकमान कभी भी एक्शन ले सकता है। लगता है इसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत को हर तरह के फैसले के लिए खुली छूट दे आलाकमान और ताकत देगा, क्योंकि पार्टी का अब पूरा फोकस राजस्थान पर ही रहने वाला है।गहलोत की योजनाओ से राहुल गांधी भी खासे उत्साहित हैं।
राजे के समर्थकों की जगी उम्मीद
कर्नाटक की करारी हार से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों की उम्मीद जग गई है। वे उम्मीद कर रहे पार्टी अब राजे को चेहरा बना दे।
नरेश अरोड़ा का भी कद बढ़ा
कर्नाटक की जीत में एक अहम भूमिका नरेश अरोड़ा की भी रही है। पूरा पोल कैं पन मैनेजमेंट अरोड़ा की कंपनी ‘डिजाइन बाक्स’ ने संभाला। उनके सर्वे, मुद्दे और रणनीति कारगर रही। अरोड़ा की कं पनी राजस्थान में भी कांग्रेस के लिए काम कर रही है, जिसके प्रचार में असर भी दिखने भी लगा है। अरोड़ा को कर्नाटक में डी. शिव कुमार लाए थे। उन्होंने कम समय में चुनावी रणनीतिकारों में अपनी जगह बना ली है।