निरंजन चौधरी। प्रदेशभर में बीते रात प्रकृति ऐसी कुपित हुई कि विशाल दरख्त पलभर में धराशायी हो गए। मकानों की दीवारें ढह गई। प्रकृति के रौद्र रूप ने किसी को नहीं बख्शा। कई मंदिर भी जमींदोज हो गए, लेकिन एक बार फिर भगवान शिव का प्रकृति कुछ नहीं बिगाड़ पाई। कुछ ऐसा ही चमत्कार हुआ, जयपुर स्थित चांदपोल में नाहरगढ़ रोड स्थित शिव मंदिर में, जहां एक विशाल दरख्त के ढहने से पूरा मंदिर तहस-नहस हो गया, लेकिन शिव परिवार की सभी प्रतिमाएं आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित बच गई।
2013 के केदारनाथ धाम की दिला दी याद
ठीक वैसे ही जैसे केदारनाथ धाम में वर्ष 2013 में मची तबाही के दौरान हुआ था। वहां भी भयंकर तबाही के दौरान एक विशाल शिला आकर मंदिर के पीछे लग गई थी, जिसके कारण भगवान शिव के मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था, जबकि पूरे इलाके में भयंकर तबाही हुई थी, जो आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।
चांदपोल के जंगजीत महादेव
केदारनाथ की बाढ़ के दौरान जिस तरह पानी से बहकर आई एक शिला मंदिर के पीछे आकर रुक गई थी और भयंकर बाढ़ के बावजूद मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ। उसी तरह का नजारा छोटी काशी जयपुर में देखने को मिला। यहां चांदपोल इलाके के नाहरगढ़ रोड दूसरे चौराहे पर स्थित जंगजीत महादेव मंदिर में भी गुरुवार रात को आए तूफान ने सैकड़ों वर्ष पुराने बरगद के पेड़ की जड़ों को हिला दिया। पेड़ मंदिर सहित धराशायी हो गया, लेकिन मंदिर के मलबे में से ही एक शिला शिव पंचायत के ऊपर छत्र की तरह आकर रुक गई।
12 घंटे में हटाया गया पेड़
पूरा मंदिर तहस-नहस हुआ, लेकिन मूर्तियां सुरक्षित रहीं। स्थानीय निवासी इसे भगवान का साक्षात् चमत्कार बता रहे हैं। गौरतलब है कि भारी मोटाई वाले पेड़ के गिरते ही आस-पास के मकानों की दीवारें तक गिर गईं मगर मंदिर में स्थापित शिवलिंग एकदम सुरक्षित है। ‘सच बेधड़क’ ने मौके पर जाकर पूरी पड़ताल की, जहां पता चला कि यह वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है। वृक्ष इतना विशालकाय था कि उसे हटाने में ही नगर निगम की टीम को बारह घंटे से अधिक का समय लग गया।