जयपुर। विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी शिकस्त झेल चुकी कांग्रेस अब विधानसभा में भी मुकाबला करने के लिए अपने नेताओं के नाम सामने लाने में पिछड़ रही है। कांग्रेस की ओर से अब तक नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष का नाम घोषित नहीं किया गया है। जबकि भाजपा ने मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के नाम की घोषित करने के बाद 15 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी शुरू कर दी है।
इस बीच बड़ा सवाल यही है कि जिस तरह भाजपा ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंकाया है, क्या कांग्रेस भी वैसे ही चौंकाने वाले नाम सामने लाएगी या फिर उन्हीं चेहरों में से ये दो नाम घोषित किए जाएंगे, जिनका नाम सुर्खियों में है। नेता प्रतिपक्ष के लिए फिलहाल कांग्रेस में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है।
हालांकि, निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दोनों से सीनियर हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि 2013 से 2018 तक जब कांग्रेस विपक्ष में थी तब भी उन्होंने नेता प्रतिपक्ष बनने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। ऐसे में सचिन पायलट और गोविंद डोटासरा का नाम इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। शांति धारीवाल और हरीश चौधरी भी इस दौड़ में हैं।
वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष पद को लेकर भी कांग्रेस में लंबी रेस चल रही है। उपनेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व सभापति और विधायक राजेंद्र पारीक, पूर्व मंत्री बृजेंद्र ओला, दयाराम परमार, टीकाराम जूली, जुबैर खान और हरिमोहन शर्मा सहित कई नेता दौड़ में बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही सचेतक पद को लेकर भी कई नेता लॉबिंग में जुटे हैं।
आलाकमान पर छोड़ा कांग्रेस ने फैसला
नेता प्रतिपक्ष को लेकर पिछले दिनों विधायक दल की बैठक रखी गई थी। हालांकि, उस बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास किया गया था। प्रस्ताव में यह तय किया गया था कि नेता प्रतिपक्ष का नाम तय करने का जिम्मा आलाकमान पर छोड़ा गया है। ऐसे में अब दिल्ली से ही यह नाम तय होंगे। हालांकि, बताया जा रहा है कि इसमें अभी एक-दो दिन का समय लग सकता है।
युवाओं को सौंपी जानी चाहिए बागडोर: पायलट
कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष का चेहरा किसी युवा को बनाया जाएगा यह देखे जाने वाला फैसला है। क्योंकि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बयान दे चुके हैं कि युवा नेताओं को बढ़ावा देना चाहिए। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि युवाओं को बागडोर सौंपी जानी चाहिए ताकि हम युवा पीढ़ी को विश्वास में ले सकें। उन्होंने कहा था कि सभी की कड़ी मेहनत के बावजूद कुछ कमियां थी, जो पार्टी की हार का कारण बनीं। क्या कमियां थीं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, हमें इसका विश्लेषण करना होगा।