जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल को लेकर आज उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा में इस पर अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने प्रवर समिति की रिपोर्ट पर असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस समिति का सदस्य रहा हूं, जो रिपोर्ट आई है उसके तथ्यों से मैं सहमत हूं। क्योंकि जो तथ्य रिपोर्ट में जाहिर किए हैं वह मूल समस्याओं से बिल्कुल अलग है।
ये हैं हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आप राइट टू हेल्थ की बात करते हो, स्वास्थ्य के अधिकार की बात करते हो, हमारे स्वास्थ्य की व्यवस्था क्या है, पहले हम वह सुन लेते हैं। हमारे स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसी है कि जोधपुर में एक अस्पताल में सैंपल के लिए जो ब्लड रखा था, उस खून की बोतल को कुत्ते उठा ले गए। आईसीयू में भर्ती एक महिला के पलक चूहे कुतर गए। लेबर रूम में नहीं गैलरी में महिलाओं का प्रसव हो रहा है और तो और हाल ही में सिरोही में एक अस्पताल में एक बच्चा अपनी मां के साथ लेटा हुआ था, उसे कुत्ते उठाकर ले गए। उसे नोंच-नोंच कर मार डाला, यह हमारी व्यवस्थाएं हैं।
इन अस्पतालों को एक्ट के दायरे में लो
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आप सरकारी अस्पतालों को इस दायरे में लो, ट्रस्ट हॉस्पिटल को लो, मेडिकल कॉलेज को लो, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को लो, 50 बेड के मल्टीपल स्पेशलिटी अस्पतालों को लो और जिनको आपने रियायती जमीन दी है चिकित्सालय को उनको लो। लेकिन जिन्होंने कमर्शियल रेंट पर जमीन खरीदी है और जिनके पास सुविधा पूरी नहीं है उसको इस दायरे में क्यों ला रहे हो। आज प्रदेश में 2265 पीएचसी 707 सीएचसी है 215 जिला अस्पताल हैं।
इस मुद्दे पर बोलने का हक नहीं
राठौड़ के बोलते-बोलते धारीवाल बीच में बोल पड़े।उन्होंने इस बीच प्रवर समिति को लेकर कुछ तथ्य रखे। उन्होंने कहा कि प्रवर समिति की बैठक में जो सदस्य हैं उनको इस बहस में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन फिर भी अगर वह इस बहस में हिस्सा लेता है तो वह इस समिति से अपने आपको पीछे खींच सकता है। इसलिए आप या तो समिति में रहें या फिर बहस ना करें।
वॉक आउट करने लगे तो सभापति ने दिया बोलने की अनुमति
इस पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा आपके प्रवर समिति में मेरा नोट ऑफ डिसेंट है, जिसका डिसेंट नोट है उसको बोलने की इजाजत दे दी जा सकती है। लेकिन इस डिसेंट नोट पर संयम लोढ़ा ने भी कहा कि उन्होंने कौन सा डीसेंट नोट दिया है, उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है। इस पर दोनों पक्षों में खासी गहमागहमी हो गई। तो भाजपा विधाक वॉकआउट करने लगे, तभी सभापति जेपी चंदेलिया ने अपने आसन से खड़े होकर दोनों ही पक्षों को शांत कराने की कोशिश की लेकिन हंगामा जारी रहा। सत्ता पक्ष का कहना था कि आप को बोलने का अधिकार ही नहीं है। लेकिन जेपी चंदेलिया ने तथ्य रखते हुए कहा कि उन्होंने डिसेंट नोट इस मुद्दे पर रखा है इसलिए वह बोल सकते हैं। जेपी चंदेलिया के अनुमति देने के बाद ही सदन में सत्तापक्ष ने हंगामा मचा दिया। बीडी कल्ला ने कहा कि राजेंद्र राठौड़ ने इन दो बिंदुओं पर बोल सकते हैं लेकिन बिल्कुल ओपन डिबेट नहीं कर सकते।
50 बेड से नीचे के अस्पतलों को एक्ट के दायरे में न लाएं
इसी मुद्दे पर पूरे सदन में करीब 15 मिनट तक जोरदार हंगामा हुआ। इसके बाद राजेंद्र राठौड़ ने बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा कि आप स्वास्थ्य का अधिकार लेकर आओ, आप सुपरस्पेशलिटी के 50 बेड से नीचे मत लेकर आओ। क्योंकि आपके पीएचसी-सीएचसी और डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज और अब तो डब्ल्यूएचओ ने मापदंड बना रखे हैं कि इसमें सही तरह से स्टाफ पैटर्न होना चाहिए ताकि आदमी को स्वास्थ्य का लाभ मिले। अभी इंडियन पब्लिक हेल्थ सिस्टम ने राज्यों के अंदर ये तय किया है कि कितने डॉक्टर, कितने पैरामेडिकल होना चाहिए । आप देख लो उसके अंतर्गत आपकी कितना स्टाफ आता है। जब तक हम एक्ट को मजबूत नहीं करेंगे तो हम किन स्टेक होल्डर के भरोसे करेंगे उनके जिनके भरोसे अभी भी 5 मिनट पहले जिन चिकित्सकों को बाहर वॉटर कैनन से भगाया था।
नो प्रॉफिट नो लॉस पर खेल रहे हो आप
इस पर फिर से धारीवाल ने बोला कि आप से जितना कहा जाए उतना बोलिए आप अपने मुद्दे से बाहर क्यों जा रहे हैं। आपने सिर्फ दो बिंदुओं पर डिसेंट नोट दिया है। आप सिर्फ उन पर बोलिए आपको आगे बोलने का अधिकार नहीं है। इस पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आज देश के अंदर राजस्थान पहला राइट टू हेल्थ ला रहा है । अब बताइए हम कहां पहुंचे हैं, हमारी स्वास्थ्य सेवाएं खुद की अच्छी नहीं है, हम दूसरे स्टेकहोल्डर के दम पर हम स्वास्थ्य अधिकार लाएंगे। सबसे पहले आपने अधिकार दिया जांच का अधिकार। 2013 से 66 जांच हो रही हैं, निशुल्क दवा योजना मिल रही है। जिस चिरंजीवी के माध्यम से आप पैसा जमा करवाते हो सरकारी चिकित्सालय में इलाज के नाम पर, वापस इंश्योरेंस कंपनी का पैसा वसूल करते हो। आप ने नो लॉस नो प्रॉफिट का ऐसा बना दिया है कि आज के समय में मैं चुनौती देता हूं कि अगर आज एक आदमी एक ट्रॉमा सेंटर में भी चला जाए तो एक में भी उसका इलाज नहीं हो सकता।
बगैर मल्टी स्पेशलिस्ट नहीं हो पाएगा काम
आप एक्ट के अंदर इस बात को क्यों नहीं डालते कि राइट टू हेल्थ सारे अस्पताल में मिलेगा। जिला अस्पताल में मिलेगा, मेडिकल कॉलेज में मिलेगा, उन अस्पतालों में लेगा जिनके स्टेकहोल्डर्स को कॉन्फिडेंस में लेकर जो 50 बेड से ज्यादा होंगे। मैं समझता हूं कि मल्टी स्पेशलिस्ट अगर नहीं होगा तो निश्चित तौर पर आप ये काम नहीं कर पाएंगे।
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आपका इस एक्ट से राजनीतिक हेतु हो सकता है तो इस बिल से आप जनता का भला करने वाले नहीं हो। इसलिए मेरा निवेदन है आप इन प्रावधानों को भी एक्ट में शामिल करो।