Rajasthan Power Crisis : जयपुर। कोयला आपूर्ति के चलते राजस्थान में एक बार फिर बिजली संकट मंडराने लगा है। चौंकाने वाली बात ये है कि राजस्थान के दो प्लांट में एक दिन से भी कम का कोयला बचा है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर जल्द ही कोयला की मांग पूरी नहीं हो पाई तो राजस्थान में बिजली संकट गहरा सकता है। इस संकट से छूटकारा पाने के लिए प्रदेश की भजनलाल सरकार सहित राजस्थान बिजली निगम के अधिकारी लगातार प्रयासरत है।
कोयले की मांग को पूरा करने के लिए राजस्थान बिजली निगम के अध्यक्ष और प्रबंधक निदेशक आरके शर्मा गुरुवार को छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। क्योंकि राजस्थान में कोयले की आपूति छत्तीसगढ़ की खदानों से होती है। इस दौरान मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान पिछले 2 साल से कोयला संकट से जूझ रहा है। अब तो हालात ये है कि हमारे पास एक दिन से भी कम का कोयला बचा है।
छत्तीसगढ़ की खदानों से होती है कोयले की आपूर्ति
उन्होंने कहा कि हमारे पास कुल 7,580 मेगावाट का बिजली संयंत्र हैं, जो 4,340 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं। राजस्थान में कोयले के लिए हम छत्तीसगढ़ की खदानों पर ही निर्भर हैं। यही से हमे कोयला मिलता है। शेष 3,240 मेगावाट के लिए कोयला कोल इंडिया लिमिटेड आता है। यदि 50 प्रतिशत कोयले की आपूर्ति बंद हो जाएगी तो राजस्थान अपनी ऊर्जा जरूरतों को कैसे पूरा करेगा? इसी वजह से मैं छत्तीसगढ़ आया हूं।
अभी सिर्फ एक ही खदान चालू
उन्होंने कहा कि इस वक्त हम मुसीबत में हैं, क्योंकि हमारे 2 संयंत्रों में एक दिन से भी कम का कोयला बचा है। इसी समस्या से निजात के लिए मैं छत्तीसगढ़ आया हूं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कोयले की उपलब्धता कम हो रही है और इसकी आपूर्ति में कमी के कारण मुझे खदान शुरू करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अभी पीईकेबी सेकेंड फेज में सिर्फ एक ही खदान चालू है।
सीएम भजनलाल ने भी की थी सहयोग की मांग
कांग्रेस राज में खुद सीएम अशोक गहलोत छत्तीसगढ़ दौरे पर गए थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कोयले की मांग को लेकर आग्रह किया था। लेकिन, अब राजस्थान में नई सरकार बनने के बाद पहली बार कोयला संकट बढ़ता जा रहा है। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय को पत्र लिख परसा ईस्ट केतेवासन एक्सटेंशन को निर्वाध रूप से संचालित करने के लिए सहयोग मांगा था।
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