जयपुर। वो कहते है ना कि सच छुपाए नहीं छिपता। झूठ चाहे कितना भी बढ़ा-चढ़ाकर बोला गया हो, लेकिन किसी ना किसी तरह सच सामने आ ही जाता है। ऐसा ही मामला राजस्थान के नागौर जिले में सामने आया है। यहां एक युवती ने बिना परीक्षा पास किए 2 साल तक ट्रेनिंग ली। इसके बाद पुलिस अधिकारी बन लोगों को अपनी धौंस जमाने लगी।
वह इतने शातिराना तरीके से फर्जी थानेदार बनकर सामने आई कि असली पुलिस वाले भी उसे पहचान नहीं पाए। यहां तक कि फर्जी सब-इंस्पेक्टर युवती एडीजी के साथ टेनिस खेलती। इतना ही नहीं पूर्व डीजीपी के बेटी की शादी में भी शरीक हुई। वहीं युवती असली पुलिस अधिकारियों को ही हड़काने लगी। लेकिन वो कहते है ना कि झूठ के दम पर पहना हुआ मुखौटा एक ना हट ही जाता है। एक दिन छोटी सी गलती भारी पड़ गई और उसका भंडाफोड़ हो गया। आखिर क्या है इस फर्जी पुलिस अधिकारी महिला की पूरी कहानी, आइए जानते हैं।
परीक्षा में फेल हुई तो फैलाई चयन होने की अफवाह
ये कहानी है कि राजस्थान के नागौर जिले के निम्बा के बास में रहने वाली मोना बुगालिया की। जो सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी। उसके पिता खेती करते थे और बाद में ट्रक ड्राइवर बन गए। मोना बुगालिया सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी। लेकिन उसका चयन नहीं हुआ। मोना ने अगली परीक्षा के लिए तैयारी करने के बजाय ऐसी आइडिया लगाया कि पुलिस वाले भी दंग रह गए। तीन साल पहले साल-2021 में जब परिणाम आया तो मोना ने खुद के सब-इंस्पेक्टर में चयनित होने की झूठी खबर गांव में फैला दी। इधर, रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने मोना के पुलिस में सिलेक्शन पर बधाई दी। इसके बाद मोना हर किसी को अपने संघर्ष की कहानी बताने लगी कि कैसे परिवार की आर्थिक हालात कमजोर होने के बावजूद उसने संघर्ष से मुकाम हासिल किया।
कुल मिलाकर, मोना बुलालिया का रौला ऐसा था कि बड़े से बड़ा पुलिस अफसर भी गच्चा खा जाए। लेकिन, जब उसकी असलियत से पर्दा हटा तो पता चला कि वो कोई पुलिस अफसर नहीं बल्कि नंबर एक की जालसाज है। जिसने राजस्थान पुलिस एकेडमी की कमियों का फायदा उठाते हुए दो साल तक फर्जी तरीके से पुलिस सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग की थी। उसने पुलिस वाली होने का ऐसा धमाल मचाया कि जब पोल खुला तो उसको जानने वाले लोग उसका सच जान कर हैरान रह गए।
पुलिस एकेडमी की खामियों का ऐसे फायदा उठाया…
उधर, राजस्थान पुलिस एकेडमी में असली चयनित सब इंस्पेक्टर के बैच 48 की ट्रेनिंग 9 जुलाई 2021 से 4 सितंबर 2022 तक हुई। फिर 5 सितंबर 2022 से 10 सितंबर 2023 तक फील्ड ट्रेनिंग हुई। मोना ने राजस्थान पुलिस एकेडमी की खामियों का फायदा उठाकर एंट्री ले ली। पूरे दो साल तक वहां सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग करती रही। मोना का कमाल देखिए वह एक साथ दो बैचों में ट्रेनिंग करती रही, लेकिन एकेडमी के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। क्योंकि वो बेहद चालाकी से अपनी योजना को अंजाम दे रही थी। उससे जब रेग्यूलर बैच में पूछा जाता तो वो बताती कि वो स्पोर्ट्स कोटे से है।
जब स्पोर्ट्स कोटे की ट्रेनिंग में सवाल किए जाते, तो वो कहती कि रेग्यूलर बैच की है। अटेंडेंस के दौरान पकड़े जाने से बचने के लिए कभी इंडोर क्लास और एक्टिविटीज अटेंड नहीं करती, क्योंकि उसे पता था कि यदि क्लास में जाएगी, तो उसकी पोल खुल जाएगी। इसी तरह जो भी ट्रेनिंग के लिए एकेडमी में आते हैं, उन्हें वहीं हॉस्टल में रहना होता है, लेकिन चूंकि मोना का नाम चुने गए कैंडिडेट्स में नहीं था, वो हॉस्टल में रह भी नहीं सकती थी।
ऐसे में वो रोजाना ट्रेनिंग एकेडमी में आती और बाहर चली जाती। वहां से आने-जाने के लिए भी उसने अनोखा तरीका ढूंढ रखा था। वो टेनिंग एकेडमी की मेन गेट से नहीं आती-जाती, क्योंकि वहां आई-कार्ड की चेकिंग होती थी, बल्कि इसके बदले वो उस गेट से एकेडमी में आती, जहां से पुलिस अफसरों के परिजन आते-जाते थे। एकेमडी में आने के बाद वो ज्यादातर वक्त कैंटीन, स्वीमिंग पूल, फैमिली क्वार्टर्स में गुजारती। एकेडमी की कैंटिन में वो बाकायदा वर्दी पहन कर जाती और नए-नए सब इंस्पेक्टर्स से दोस्ती करती।
एकेडमी का नियम ये है कि यहां चुने गए कैंडिडेट्स को अपनी वर्दी का खर्च खुद ही वहन करना पड़ता है। मोना ने अपने लिए दो यूनिफॉर्म बनवाई थी। पकडे जाने के डर से ही मोना ने कभी भी सब इंस्पेक्टर को मिलने वाला पगार भी लेने की कोशिश नहीं की। इस तरह मोना का गोरखधंधा लगातार चलता रहा।
मोटिवेशन स्पीच के लिए बुलाने लगे कोचिंग सेंटर…
मोना बुगालिया वर्दी की धौंस जमाती थी। वह लोगों को बताती थी कि कैसे उसका जीवन संघर्ष भरा रहा। मोना जहां भी जाती थानेदार की वर्दी पहनकर जाती थी। इतना ही नहीं वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी वर्दी पहने फोटो और वीडियो अपलोड करती थी। इससे प्रभावित होकर कई कोचिंग सेंटर संचालक मोना को स्टूडेंट्स को मोटिवेशन स्पीच देने के लिए बुलाने लगे। कोचिंग सेंटर में मोना स्टूडेंट्स को बताती कि कैसे गरीब परिवार की बेटी कामयाब बनी। मोना की ऐसी संघर्ष की कहानी सुनकर स्टूडेंट्स प्रभावित हो जाते और तालियां बजाकर उसका स्वागत करते थे।
कैसे खुली मोना बुगालिया के जालसाज की पोल…
मोना बुगालिया एक जगह गलती कर बैठी। दरअसल, आरपीए में ट्रेनिंग कर रहे बैच 48 के सब-इंस्पेक्टर ने वॉट्सऐप पर (48 एसआई) गपशप नाम से ग्रुप बना रखा था। इस ग्रुप में किसी टॉपिक पर सब-इंस्पेक्टर के बीच डिसक्शन चल रहा था। इस दौरान मोना की एक दूसरे सब-इंस्पेक्टर से बहस हो गई। मोना ने सब-इंस्पेक्टर और उसके साथियों को बहस के बाद वॉट्सऐप पर धमकी दी कि उन्हें वो आरपीए ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलवा देगी। बस यहीं से उसकी पोल खुलनी शुरू हो गई। सब इंस्पेक्टर ने उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया। मोना का नाम ना तो रेग्यूलर कोटे में और ना ही स्पोर्ट्स कोटे में मिला।
इसके बाद उसने पुलिस अकेडमी के अधिकारियों से मोना की शिकायत की। अधिकारियों को जब अहसास हो गया कि मोना फर्जीवाडा कर रही है, तो उन्होंने आखिरकार मोना के खिलाफ शास्त्रीनगर थाने में रिपोर्ट लिखवा दी। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 468, 469 और 66 डीआईटी एक्ट और राजस्थान पुलिस एक्ट की धारा 61 के तहत केस दर्ज किया गया है। मोना फरार है।