जयपुर। राजस्थान की जालोर विधानसभा से विधायक जोगेश्वर गर्ग को राजस्थान विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया है। जोगेश्वर गर्ग अब विधानसभा में सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट संभालेंगे। विधानसभा में जोगेश्वर गर्ग की गिनती भाजपा के कदावर नेताओं में शामिल है। इस कारण इन्हें ये मौका दिया गया है। बता दें कि इससे पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में महेश जोशी मुख्य सचेतक थे। वहीं महेंद्र चौधरी उपमुख्य सचेतक थे।
6 विधानसभा चुनाव लड़े, 5 बार जीते…
जोगेश्वर गर्ग 6 बार विधानसभा चुनाव लड़े। इससे पहले छह में से पांच बार विधानसभा के चुनाव जोगेश्वर गर्ग जीतने में कामयाब रहे हैं। साल 1990 में जोगेश्वर गर्ग पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद 1993 में फिर पार्टी ने टिकट दिया और उन्होंने फिर जीत दर्ज की। उसके बाद 1998 में जोगेश्वर गर्ग के स्थान पर गणेशी राम को दिया गया। उसके बाद 2003 में फिर जोगेश्वर गर्ग को मौका दिया और इसमें भी उन्होंने जीत दर्ज की।
इसके बाद 2008 में बीजेपी ने फिर उन्हें प्रत्याशी रिपीट किया, लेकिन यहां पर गर्ग को पहली बार हार झेलनी पड़ी। इसके बाद साल 2013 में मोदी लहर में गर्ग की टिकट काटकर अमृता मेघवाल को उतारा गया। यहां मेघवाल ने जीत हासिल की, लेकिन 2018 में फिर पांचवी बार गर्ग को टिकट थमाया, जिसमें वे जीत गए। वहीं 2023 रिपीट कर छठी बार जोगेश्वर गर्ग को भाजपा ने जालोर की आरक्षित सीट से मैदान में उतारा। जहां उन्होंने भारी मतों से एक बार फिर जीत दर्ज की।
एक बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, उसी में मिली हार…
जोगेश्वर गर्ग संघ पृष्ठभूमि से आते है। साल 1991 में एससी आरक्षित सीट जालोर संसदीय सीट पर भाजपा ने जोगेश्वर गर्ग को मैदान में उतारा था, लेकिन बूटासिंह के सामने हार गए थे। उसके बाद जोगेश्वर गर्ग लोकसभा चुनाव नहीं लड़े।
बता दें कि साल 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जोगेश्वर गर्ग के समर्थन में तत्कालीन वरिष्ठ भाजपा नेता स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी आए थे। प्रचार के दौरान वाजपेयी ने व्यंग्यात्मक रूप से कहा था कि बड़ी दाढ़ी के सामने हमारी छोटी दाढ़ी लड़ रही है अर्थात बूटासिंह के सामने जोगेश्वर गर्ग नया चेहरा है और दोनों दाढ़ी रखने के शौकीन है।
हालांकि, उस लोकसभा चुनाव में जोगेश्वर गर्ग जरूर हार गए थे, लेकिन उसके बाद विधानसभा चुनाव जीत गए थे और मंत्री भी बने। जोगेश्वर गर्ग की जीत के बाद से ही जालोर विधानसभा सीट पर भाजपा जीतनी शुरू हुई थी और उसके बाद से यह भाजपा के लिए गढ़ बन गई।