जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के रण में राजस्थान के नेताओं आमना-समाना हो गया है। कर्नाटक में प्रवासी राजस्थानियों की बड़ी संख्या को देखते हुए यहां दोनों पार्टियों ने अपने प्रमुख नेताओं को जिम्मा सौंपा। कर्नाटक की सभी 224 विधानसभा सीट के लिए 10 मई को मतदान होगा और मतगणना 13 मई को होगी। इस मतगणना के साथ तय होने वाली जीत-हार राजस्थान के चुनावों के लिए भी प्रदेश के नेताओं की भमिू का को तय करेगी। क्योंकि राजस्थान के भाजपा व कांग्स के रे नेताओं को भी कर्नाटक के चुनावों में अपनी-अपनी पार्टी को जीताने की जिम्मेदारियां देकर रण में उतारा गया है। इसमें कांग्स की ओर से प्रदेश रे के मुखिया अशोक गहलोत व पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां सहित अपने नेताओं की बड़ी फौज उतारी हैं।
भाजपा के अरुण सिंह को चुनाव प्रभारी का जिम्मा
राजस्थान में भाजपा के प्रभारी का जिम्मा संभाल रहे अरुण सिंह को कर्नाटक में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। 3 नवंबर 2020 को अरुण सिंह को राजस्थान का प्रभारी नियुक्ति किया गया था। यह 2019 लोकसभा चुनाव मैनेजमेंट का भी जिम्मा संभाला चुके हैं। 13 मई को आने वाले परिणामों के बाद राजस्थान में इनकी भूमिका तय होगी।
राजस्थान की योजनाएं बनेगी देशभर में नजीर
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को स्टार प्रचारक बनाकर कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस आलाकमान ने मैदान में उतारा है। प्रदेश में चिरंजीवी से लेकर ओपीएस योजनाओं के दम पर फिर से सरकार रिपीट करने का दावा करने वाले सीएम ने इन्हीं योजनाओं का प्रचार जनता के बीच किया है। अगर कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तो गहलोत की जनकल्याणकारी योजनाएं देशभर में नजीर बनेगी।
सतीश पूनियां के पास बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने कर्नाटक चुनाव में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां को प्रचार की जिम्मेदारी दी है। सतीश पूनियां को विशेष तौर पर बेंगलुरु ग्रामीण जिला की सीटों पर जिम्मेदारी दी गई है। पूनियां किसान-ओबीसी और प्रवासी राजस्थानी बाहुल्य सीटों को मैनेजमेंट संभाल रहे हैं। पूनियां इसमें यह सफल हुए तो प्रदेश के विधानसभा चुनावों में इनको अहम भूमिका मिल सकती है।
कर्नाटक चुनाव में ये फैक्टर अहम
राजस्थान के 70 लाख प्रवासी मतदाता।
सीएम गहलोत की योजनाएं और उनका स्टार प्रचारक होना।
40 से ज्यादा सीटों पर राजस्थानी हार-जीत तय करने में सक्षम। किसान-ओबीसी सीटों को साधने के लिए डोटासरा और पूनियां को जिम्मेदारी।