जयपुर। ऊंट संरक्षण के क्षेत्र में राजस्थान मॉडल स्टेट बनता जा रहा है। गहलोत सरकार उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत ऊंट पालकों को प्रोत्साहन राशि दे रही है। एक महीने में 16 हजार ऊंट पालकों ने आवेदन किया है। 0-2 माह तक के ऊंट के बच्चों के जन्म पर 5-5 हजार रुपए की राशि 2 किश्तों में दी जा रही है। राशि सीधे बैंक अकाउंट में हस्तांतरित जा रही है। पशुपालन सचिव कृष्ण कुणाल ने बताया कि ऊंट संरक्षण के क्षेत्र में राजस्थान मॉडल स्टेट बन रहा है। राज्य सरकार राज्य पशु ऊंट के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत प्रोत्साहन राशि देने की प्रक्रिया जारी है। आईओएमएमएस पोर्टल पर ऊंट पालक आवेदन कर सकते है।
बता दें कि राज्य सरकार ने साल 2016 में उष्ट्र विकास योजना शुरू की थी। लेकिन, साल 2019 में योजना बंद हो गई थी। करीब 3 साल लंबे इंतजार के बाद गहलोत सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना को फिर से शुरू कर ऊंट पालकों को बड़ी सौगात दी है। इस योजना के फिर से शुरू होने के कारण ऊंट पालन के प्रति पशु पालकों का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। योजना के तहत पशुपालकों को दो किश्तों में 5-5 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। बता दे कि देश में सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाए जाते है। राजस्थान के जैसलमेर में ऊंटों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे में उष्ट्र संरक्षण योजना फिर से शुरू होने से सबसे ज्यादा फायदा भी जैसलमेर के ऊंट पालकों को हो रहा है।
योजना का फायदा लेने के लिए इस बात का रखे ध्यान
ऊंट के बच्चे के जन्म से लेकर 2 महीने का होने पर पशु अस्पताल से वैरिफिकेशन करना अनिवार्य है। इसके बाद ही ऊंट पालक के खाते में 5 हजार रुपए आएंगे और ऊंट के एक साल का होने पर दूसरा फिजिकल वैरिफिकेशन कराना होगा। इसके बाद दोबारा ऊंट पालक के खाते में 5 हजार रुपए आएंगे। अगर इस दौरान ऊंट की मौत हो जाती है तो ऊंटपालक को योजना का लाभी नहीं मिलेगा। ऊंटनी के दूसरा बच्चा होने पर भी योजना का लाभ मिलेगी। लेकिन, ऊंटनी के रजिस्ट्रेशन को 15 महीने पूरे होने चाहिए।