Rajasthan Election 2023: मतदान से करीब तीन घंटे पहले अलसुबह चार-सवा चार बजे एक प्रशासनिक अधिकारी के फोन की घंटी घनघना उठती है- एक आवाज आती है जिसमे मतदान केन्द्रों पर कथित कब्जे की आशंका जताई जाती है और जिला प्रशासन तत्काल हरकत में आ जाता है। लेकिन सूर्य की रश्मियों की प्रखरता के साथ हकीकत का खुलासा होता है। यह कहानी 33 बरस पुरानी है। स्थान है – राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले का शिव विधानसभा क्षेत्र। वर्ष 1998 का विधानसभा चुनाव। तत्कालीन अतिरिक्त जिला कलक्टर रामपाल शर्मा को एक वजनदार प्रत्याशी फोन पर सूचित करते हैं कि पड़ौसी राज्य गुजरात से लगभग 45 जिप्सी अमुक क्षेत्र में पहुंच चुकी हैं और उनमें आए लोग मतदान बूथों पर कब्जा करने की फिराक में हैं। आप कुछ करिए।
चूंकि वह प्रत्याशी पहले भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके थे, इसलिए प्रशासनिक अधिकारी चितिंत हुए और उन्होंने एरिया मजिस्टेट के साथ पुलिस फोर्स को संबंधित इलाके में भिजवाने की व्यवस्था को प्राथमिकता दी। बाड़मेर के तत्कालीन जिला कलक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी आरएन अरविंद के अनुसार जब उन्हें अतिरिक्त जिला कलक्टर रामपाल शर्मा ने यह जानकारी दी तो वह हतप्रभ रह गए। अपने सहयोगी से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सामान्यतः सिविल क्षेत्र में इतनी संख्या में जिप्सी नहीं होती। इसलिए यह सूचना झूठी लगती है। शिव विधानसभा के क्षेत्र विशेष में मतदान केन्द्रों के कथित कब्जे एवं पुलिस फोर्स भिजवाए जाने की चाल को अरविंद समझ गए।
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उनका अनुमान था कि प्रशासन को गफलत में डालकर पुलिस फोर्स को क्षेत्र विशेष में केन्द्रित किए जाने के पीछे संबंधित प्रत्याशी की यह मंशा हो सकती है कि उसे अपने इलाके में समुदाय विशेष से फर्जी मतदान कराने का मौका मिल जाए। यह माजरा समझते ही अरविंद ने अतिरिक्त फोर्स को वापस बुलाने की व्यवस्था के साथ साथ विधानसभा क्षेत्र में सही अनुपात में फोर्स को तैनात करवाया ताकि स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव के दायित्व का सुचारु पालन हो सके।
हॉट सीट शिव से हुई थी चल मतदान कें द्र की शुरुआत
विधानसभा के चुनाव में यही शिव विधानसभा क्षेत्र हॉट सीट का प्रतीक बन गया है। पाकिस्तान से अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे इस विधानसभा के चुनाव में पंचकोणीय मुकाबले की परिस्थिति बन गई है। टिकट की मारामारी में कांग्रेस और भाजपा में बगावत तथा आरएलपी के मैदान में उतरने से मुस्लिम बहुल सीट पर दावेदारों ने चुनावी गणित को उलझा दिया है। अपनी राजनैतिक विरासत बेटे को सौंपने की गुहार पूरी नहीं होने पर 84 वर्षीय कांग्रेस प्रत्याशी अमीन खान एक मजबूरी में चुनाव मैदान में उतरे हैं तो उनकी पार्टी के जिलाध्यक्ष फतेह खान की बगावत बतौर निर्दलीय बाधा बन गई है। इसलिए अमीन खान सरकार के अच्छे काम के लिए कांग्रेस को वोट देने तथा उनसे व्यक्तिगत नाराजगी होने पर भाजपा तक को वोट देने की वकालत कर रहे हैं।
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वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह को टिकट मिलने पर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्रसंघ जोधपुर के पूर्व अध्यक्ष रविन्द्र सिंह भाटी निर्दलीय तथा 2003 में निर्वाचित हुए भाजपा विधायक जालमसिंह रावलोत बतौर आरएलपी प्रत्याशी चुनावी घोड़े पर सवार हैं। विधानसभा चुनाव के पश्चात जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिला कलक्टर आरएन अरविंद ने वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में देश में पहली बार चल मतदान केन्द्रों की व्यवस्था का कीर्तिमान बनाया। संयोगवश इसी शिव विधानसभा क्षेत्र में सिरगुबाला तथा सहदाद की पार खुर्द इलाके में ऊंट गाड़ों पर चल मतदान केन्द्र के माध्यम से मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार