Rajasthan Election 2023: जयपुर। भाजपा ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारने के लिए नेताओं की पहली लिस्ट निकाली तो इसमें सात सांसदों के नाम थे। इसे कइयों ने पार्टी का मास्टर स्ट्रोक तक कहा लेकिन पार्टी का यह प्रयोग पहली लिस्ट तक ही सीमित रहा। प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इन सात सांसदों के अलावा एक और सांसद हनुमान बेनीवाल भी मैदान में थे। मतदान के मैदान में उतरे आठ में से चार सांसदों के खेमे में बेचैनी है। दरअसल, इन चार सांसदों के विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की अपेक्षा नीचे गिरा है।
अब कम मतदान का फायदा या नुकसान किसको होगा ये तो मतगणना के बाद पता चलेगा लेकिन कम मतदान के चलते तरह-तरह के अनुमान प्रदेश में चल पड़े हैं। हर सांसद व उनकी पार्टी जहां मतदान घटने को अपने पक्ष में बता रहे हैं वहीं विपक्षी इसको अपने लिए फायदेमंद बता रहे हैं। इन आठ में से दो सांसदों को छोड़ सभी सांसदों ने अपने ही लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े हैं। सांसदों ने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए जमकर प्रयास किए पर ज्यादा वोटर्स को बूथ तक लाने में नाकाम रहे।
यह खबर भी पढ़ें:-Rajasthan Election 2023 :मुहूर्त के समय नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे गहलोत… चुनाव में मिली थी हार
मतदान के आंकड़ों के मुताबिक हनुमान बेनीवाल की विधानसभा सीट खींवसर, देवजी पटेल की विधानसभा सीट सांचौर, नरेन्द्र कुमार की सीट मंडावा और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की सीट झोटवाड़ा में मतदान प्रतिशत गिर गया है। इन सीटों पर मतदान में पिछले चुनाव से 3.5 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत खींवसर में हनुमान बेनीवाल की सीट पर गिरा। इनके अलावा शेष चार सांसद सांसद बालकनाथ, किरोड़ी लाल मीना, भागीरथ चौधरी और दिया कुमारी की विधानसभा सीट पर वर्ष 2018 के मुकाबले मतदान प्रतिशत बढ़ गया है।
इन सांसदों के क्षेत्र में गिरा मतदान
हनुमान बेनीवाल- खींवसर
आरएलपी सुप्रीमो व सांसद हनुमान बेनीवाल पार्टी प्रत्याशी के रूप में खींवसर विधानसभा क्षेत्र से खुद मैदान में थे। यहां मतदान प्रतिशत में 1.77 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले चुनाव में खींवसर सीट पर 75.26 फीसदी मतदान हुआ था।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़- झोटवाड़ा
झोटवाड़ा से बीजेपी उम्मीदवार राज्यवर्धन राठौड़ को पूर्व मंत्री राजपाल शेखावत का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया था। निर्दलीय आशु सिंह सुरपुरा भी मैदान में थे तो पार्टी बगावत शांत करने में उलझी रही। कांग्रेस ने अभिषेक चौधरी के रूप में युवा चेहरे पर दांव खेला। यहां मतदान प्रतिशत 1.39 प्रतिशत कम रहा है।
नरेन्द्र कुमार- मंडावा
झुंझुनूं की मंडावा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां भाजपा ने कांग्रेस की रीटा चौधरी के सामने सांसद नरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा। इस सीट पर 73.99 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछले मतदान 74.20 प्रतिशत से 0.21 प्रतिशत कम है। इस सीट को लेकर राजनीतिक गलियारों में अलग अलग कयास लगाए जा रहे हैं।
देवजी पटेल- सांचौर
जालोर की सांचौर विधानसभा सीट पर बीजेपी सांसद देवजी पटेल कांग्रेस के सुखराम बिश्नोई के सामने थे। सांचौर में सबसे 80.91 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछले चुनाव के प्रतिशत 81.40 से 0.49 प्रतिशत कम है।
यह खबर भी पढ़ें:-BRS और BJP मिले हुए…हैदराबाद में CM गहलोत प्रेसवार्ता में बोले- यह हॉर्स ट्रेडिंग करने में उस्ताद
इन सांसदों के क्षेत्र में मतदान बढ़ा
बालकनाथ- तिजारा
अलवर की तिजारा विधानसभा सीट पर सांसद बाबा बालकनाथ बीजेपी प्रत्याशी थे। यहां 2018 में 82.20 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार करीब 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 85.15 फीसदी मतदान हुआ है। बालकनाथ के सामने यहां कांग्रेस के इमरान खान ने चुनाव लड़ा।
भागीरथ चौधरी- किशनगढ़
अजमेर की किशनगढ़ सीट पर बीजेपी के सांसद भागीरथ चौधरी मैदान में थे। भाजपा के बागी विकास चौधरी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर उनके सामने थे। सुरेश टांक ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया था। यहां इस बार 76.18 प्रतिशत मतदान हुआ है जो पिछले चुनाव से 1.48 प्रतिशत अधिक है।
दीया कुमारी- विद्याधरनगर
मौजूद विधायक नरपतसिंह राजवी के स्थान पर विद्याधरनगर से दीया कुमारी को भाजपा ने उतारा। कांग्रेस से सीताराम अग्रवाल दूसरी बार मैदान में हैं। भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर मतदान प्रतिशत 2.28 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसे कांग्रेस अपने पक्ष में तो भाजपा अपने पक्ष में बता रही हैं।
किरोड़ीलाल मीणा- सवाईमाधोपुर
राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के सामने यहां कांग्रेस के दानिश अबरार व निर्दलीय आशा मीणा हैं। यहां वोटिंग प्रतिशत 1.28 प्रतिशत बढ़ा है। वोटिंग प्रतिशत बढ़ने को तीनों ही प्रत्याशी अपने पक्ष में बता रहे हैं।