Rajasthan Election 2023 : (यमुना शंकर सोनी) राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) और आजाद समाज पार्टी के बीच हुए चुनावी गठबंधन ने जोधपुर-पाली संभाग के अब तक ठण्डे पड़े सियासी माहौल में गर्माहट ला दी है। दोनों ही पार्टियों ने पिछले महीने जोधपुर, पाली, जालोर, बालोतरा जिलों में अपनी यात्राएं निकाली थी। रालोपा को खासकर जाट समाज के युवाओं का खासा समर्थन नजर आया था। वहीं आजाद समाज पार्टी को दलित बहुल इलाकों में जुटी भीड़ से आशा की किरण नजर आई थी।
अब ये दोनों पार्टियां किस व्यूह रचना के साथ चुनाव लड़ेंगी यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि इनका गठबंधन कई सीटों के परिणाम प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है। अगर ये गठबंधन कामयाब होता है तो दोनों बड़ी पार्टियों के लिए मुश्किल हो सकती है।
रालोपा के हनुमान बेनीवाल और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने गुरुवार को जयपुर में गठबंधन की घोषणा के बाद कहा था कि प्रदेश में भाजपा- कांग्रेस को रोकने के लिए मजबूत विकल्प की आवश्यकता थी। दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी। सीटों को लेकर कोई दिक्कत नहीं है, राजस्थान में दो सौ सीटें हैं।
जाट, विश्नोई और मुस्लिमों को साधने पर फोकस
सत्ता संकल्प यात्रा के दौरान बेनीवाल का फोकस जाट, मुस्लिम, विश्नोई और दलित मतदाताओं को एकजुट करने पर रहा था। वीर तेजाजी के जयकारे के साथ खड़े होने वाले जाट मतदाताओं के साथ ही उन्होंने भगवान जंभेश्वर का जयकारा बोलने वाले विश्नोई समाज को यह कहते हुए भाई बताया था कि हमारा डीएनए एक है, अब रामसा पीर की जय बोलने वाले भी रालोपा का झण्डा थाम लें तो कांग्रेस-भाजपा भागती हुई नजर आएंगी।
सामान्य सीटें, जिन पर रहेगी नजर
पिछली बार पार्टी रालोपा ने जोधपुर जिले में के वल भोपालगढ़ (सुरक्षित) और बिलाड़ा (सुरक्षित) सीट से ही उम्मीदवार खड़ेकिए थे। भोपालगढ़ से रालोपा के पुखराज गर्ग जीते थे। जबकि बाड़मेर में बायत सी ू ट पर कांग्स की रे टक्कर ही रालोपा के उम्मीवार से हुई थी। इस बार जोधपुर-पाली संभाग में बेनीवाल का फोकस जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, जालौर जिलों पर है। जोधपुर जिले में भोपालगढ़ और बिलाड़ा, पाली जिले में सोजत, बाड़मेर जिले में चौहटन और सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा और रेवदर सुरक्षित सीटें हैं।
इन छह सीटों को छोड़ कर दोनों संभाग की शेष 27 सीटें सामान्य श्रेणी की हैं। संभाग की अधिकांश सीटों पर जाट, विश्नोई, राजपूत और मेघवाल व कुछ सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाता चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। लूणी और लोहावट में जाट और विश्नोई, शेरगढ़ में जाट और राजपूत मतदाताओं का ध्रुवीकरण किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में हो जाए तो जीत की संभावना बढ़ जाती है।
आजाद समाज साध रही दलित मतदाता
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने पिछले माह देश बचाओ संकल्प यात्रा के जरिए मारवाड़ में दस्तक दी थी। उनकी पहली सभा जोधपुर जिले के भोपालगढ़ कस्बे में हुई थी। इसके बाद वे पाली और जालोर जिले में भी गए थे। इन सभी जिलों में उनकी सभाओं को दलित मतदाताओं का जबरदस्त समर्थन मिला था।
उनका कहना था कि जब तक समाज के दलित और पिछड़े वर्ग के लोग अपनी और अपने वोट की ताकत नहीं पहचानेंगे, तब तक उन्हें न समाज में अपना स्थान और न सत्ता में भागीदारी मिल सकती है। आबादी के हिसाब से यहां दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों का शासन होना चाहिए, लेकिन आजादी के बाद से आज तक ऐसा नहीं हुआ।
ठुकराए हुए नेताओं को मिल सकता है आसरा
भाजपा-कांग्रेस में टिकट चाहने वालों की लंबी कतार है। जिस तरह से एक-एक सीट पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर कशमकश चल रही है उससे तय है कि दोनों दलों के बड़ी संख्या में दावेदारों को हताश होना पड़ेगा। इनमें से कई लोगों को रालोपा-आजाद पार्टी से टिकट मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
जानकारों के अनुसार बेनीवाल की कई ऐसे नेताओं से भी अंदरखाने बातचीत चल रही है जो भाजपा या कांग्रेस से टिकट की कतार में हैं और अपने इलाके में अच्छा जनाधार रखते हैं। सभी सीटों के भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद ये देखने वाली बात होगी कि कौन नेता कौनसी पार्टी से मैदान में उतरता है।
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