Rajasthan Election 2023: मतदान प्रक्रिया में अब आता है चुनाव प्रचार का किस्सा। पहले-दूसरे आम चुनाव की तुलना में इसमें आमूलचूल परिवर्तन हो गया है। हाईटेक चुनाव अब वॉर रूम से लड़े जाते हैं जिसमें सोशल मीडिया का भी तड़का लग चुका है। चुनाव रणनीतिकारऔर उनकी सलाहकार कम्पनियों की पौ-बारह है। चुनाव प्रचार में स्टार प्रचारकों सहित सेलीब्रिटी, फिल्मी कलाकार आदि भी मतदाताओं को लुभाने में पीछे नहीं रहते। वहीं प्रत्याशी एवं दलीय नेता भी परम्परागत धोती कुर्ता त्याग जींस शर्ट की वेशभूषा अपना रहे हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 2004 में आरम्भ एसएमएस-फोन कॉल से प्रचार का ट्रेंड नित नए रूप ले रहा है। हाईटेक प्रचार में राजस्थानी गीत-कॉमेडी रील्स से जुड कंटेंट पर निर्वाचन आयोग की निगरानी के साथ पर्यवेक्षकों की तीसरी आंख भी सजग है। चुनावी खर्चे पर भी निगाहें लगी है।
चुनावी जीत में एक वोट की कीमत क्या होती है इसे विधानसभा अध्यक्ष रहे डॉ. सीपी जोशी बखूबी जानते हैं। इसलिए निर्वाचन आयोग ने मतदान के प्रति जागरुकता के लिए स्वीप कार्यक्रम सहित अनेक उपाय किए हैं। अब दिव्यांग वोटर्स को वाहन एवं व्हीलचेयर, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक-एक दिव्यांग बूथ, आठ-आठ महिला स्पेशल बूथ तथा यूथ बूथ बनाने की पहल की गई है। वयोवृद्ध मतदाताओं के घर पहुंचकर पोस्टल वोट की सुविधा, पिछले चुनाव में मतदान केन्द्र पर 65 प्रतिशत से कम मतदान पर प्रवासी मतदाताओं से सम्पर्क, नए मतदान केन्द्र बनाने जैसे कदम उठाए गए हैं।
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सोशल मीडिया सहित नए मतदाताओं को 3-D तकनीक से मतदान करने की जानकारी तथा हर साल 25 जनवरी को मतदाता दिवस मनाने की सराहनीय पहल की गई है। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी द्वारा किए जाने वाले खर्चे की सीमा 28 से बढ़ाकर 50 लाख रुपए की गई है। लेकिन प्रत्याशी तथा राजनैतिक दल अनाश-शनाप खर्चें को छिपाने के जुगाड़ में पारंगत हो चुके हैं। बॉण्ड से प्राप्त चंदे का हिसाब-किताब देने के लिए राजनैतिक दलों को पाबंद किया गया है। चुनाव में धनबल का इस्तेमाल रोकने के लिए आयोग तत्पर है।
चुनाव संबंधी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से किया जाता है। चौथे आम चुनाव में 1967 में इस विभाग के अधिकारी लक्ष्मण बोलिया ने पत्रकारों के लिए प्रेस रूम व्यवस्था को और बेहतर बनाने की पहल की। बोलिया बताते हैं कि पुलिस विभाग में प्रतिनियुक्ति के बावजूद मुख्य निर्वाचन अधिकारी गोविंद मिश्रा के समय तत्कालीन गृह सचिव एलएन गुप्ता के व्यक्तिगत आग्रह पर मीडिया विभाग के कामकाज को देखा जबकि बोलिया का हार्ट ऑपरेशन हो चुका था और उन्हें आराम की सलाह दी गई थी।
निर्वाचन व्यवस्था से जुड़े सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों को सूचनाएं एकत्रित कर मीडिया को उपलब्ध कराने तथा समाचार पत्रों में छपवाने के लिए काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। दूरदर्शन से समाचार प्रसारण के शुरूआती दिनों में अंग्रेजी टेलीप्रिन्टर पर रोमन में समाचार लिख कर हिन्दी में समाचार की व्यवस्था की गई। पहले चुनाव परिणामों के लिए सार्वजनिक सूचना पट्ट लगाए जाते थे।
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चुनाव विश्लेषण पुस्तिका प्रकाशन भी जरूरी
निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है। चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों का अम्बर लगता है जिस पर नोटिस आदि देने की खानापूर्ति अधिक होती है। इसलिए आयोग के नख-दंत मजबूत करने के साथ चुनाव सुधारों पर बल दिया जाता रहा है। तत्कालीन चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने चुनाव संबंधी कानूनों की कड़ाई से अनुपालना से अलग माहौल बनाया था।
मतदान को प्रभावित करने संबंधी मीडिया की पहल को भी नियंत्रित करने के प्रयास हुए हैं। चुनाव प्रचार के पश्चात मतगणना एवं परिणाम की घोषणा के साथ-साथ चुनाव विश्षण पुस् ले तिका का प्रकाशन भी अपरिहार्य है। इस नाते चुनाव सम्पन्न कराने में निर्वाचन आयोग की अहम भूमिका संसदीय लोकतंत्र का आधार स्तम्भ है।
गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार