Rajasthan Election 2023 : लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव सम्पन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही टिकट मिलने से लेकर चुनाव नतीजों को लेकर ज्योतिषविदों के यहां माथा टेकने का चलन लोकप्रियता के शिखर पर है। सियासी किस्मत जानने की जुगत के अनेकानेक किस्सों की गूंज चुनावी इतिहास के झरोखे से सुनी जा सकती है। शुभ मुहूर्त पर नामांकन पत्र दाखिल करने से जुड़ी खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी हैं। तो एक किस्सा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चुनावी सफर से प्रस्तुत है। गहलोत ने 1980 में पहली बार जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दो बार जीते। वर्ष 1989 में तीसरे चुनाव का अवसर आया।
नामांकन के समय यह लेखक नामांकन के समय यह लेखक भी उपस्थित था। तब का आंखों देखा हाल- जोधपुर कलेक्टरी भवन। नामांकन जुलूस की समाप्ति। गिने-चुने लोग गहलोत के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में पहुंचते हैं। वरिष्ठ एडवोकेट मख्तूर मल सिंघवी की देखरेख में नामांकन पत्र दाखिल किया जाना है। रणनीति के तहत लूणी विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ विधायक रामसिंह विश्नोई से नामांकन पत्र के एक अतिरिक्त सैट पर हस्ताक्षर कराए जाने हैं। इसके लिए विश्नोई के मतदाता क्रमांक की अधिकृत प्रति मंगवाई गई है। इसे आने में विलम्ब हो रहा है। सिंघवी बार बार घड़ी देख रहे हैं। तय मुहूर्त का समय निकलने को है।
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किसी सरकारी कारिन्दे को दौड़ाया जाता है। सबकी निगाहें जिला निर्वाचन अधिकारी के कक्ष के दरवाजे पर टिकी हैं। जरा सी आहट पर चौकन्ने हो जाते हैं। विलम्ब इतना कि मुहूर्त समय निकल गया। सिंघवी के माथे की सलवट चढ़ गई है। मुद्रा और गम्भीर हो गई है। कुछ देर पश्चात संबंधित दस्तावेज आते है, विश्नोई के हस्ताक्षर के पश्चात फिर घड़ी देखी जाती है। और फिर भारी मन से नामांकन पत्र प्रस्तुत किया जाता है।
66 हजार वोट से हार गए थे गहलोत
बुझे मन से नामांकन पत्र दाखिल हो गया। समर्थकों के चेहरे उदास हैं। इस चुनाव में कु ल जमा 21 प्रत्याशी मैदान में रहे। लेकिन गहलोत के लिए यह परिणाम 21 नहीं रहा। उनके प्रतिद्वंदी भाजपा के जसवंत सिंह को 2 लाख 95 हजार 993 (50.27%) और अशोक गहलोत को 2 लाख 29 हजार 747 (39.02% ) वोट मिले। जीत का अंतर 66 हजार 246 रहा। संयोग देखिए कि चुनाव में अशोक कु मार नामक एक प्रत्याशी को 6812 तथा जसवंत सिंह पुत्र धन सिंह को 1852 और जसवंत राज को 523 वोट मिले। गहलोत की पराजय के कारणों में निर्धारित मुहूर्त पर नामांकन पत्र दाखिल नहीं होना भी समझा गया।
भीलवाड़ा का कारोई है प्रसिद्ध
चुनाव टिकटार्थियों का भीलवाड़ा जिले के कस्बा कारोई में तो मेला लग जाता है। भृगु संहिता से गणना करने वाले ज्योतिषियों की शरण में आने वालों का दिन रात तांता लगा रहता है। कई नेता तो चोरी छिपे, मुंह ढक कर अपना भविष्य जानने आते हैं। और अब जोतिषियों ने सोलहवीं विधानसभा के चुनाव में 25 नवम्बर मतदान के दिन प्रत्याशियों की राशि से हार जीत का हिसाब किताब लगाने का दावा किया है। तीन दिसम्बर को होने वाली मतगणना से इसका मूल्यांकन होगा।
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इंदिरा गांधी ने जयपुर के ज्योतिषी से पूछा था भविष्य
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी ज्योतिष विद्या से मोह था। आपातकाल के पश्चात वे 1977 का चुनाव हार गई। लेकिन 1980 के चुनाव में वह पुनः सत्तारुढ़ हुई। चुनाव से पहले दिसम्बर 1979 में जयपुर में आम सभा के पश्चात वह सी-स्कीम निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित दीनानाथ शर्मा से मिली। पंडित जी ने अच्छे समय में पुनः सत्ता में लौटने का संके त दिया। पुन: प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के पश्चात वह सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती दीनानाथ जी को देखने आईं।
गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार