Rajasthan Congress Chief Govind Dotasara: राजस्थान में कांग्रेस ने बुधवार को दो अहम ऐलान किए जिनमें एक नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर दलित चेहरे टीकाराम जूली को बिठाया है वहीं पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को उनके पद पर कायम रखा है. डोटासरा का रुतबा कांग्रेस में बरकरार है क्योंकि हाल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बावजूद भी आलाकमान ने उनसे पीसीसी चीफ का पद वापस नहीं लिया है.
हालांकि डोटासरा को पीसीसी चीफ पद पर बनाए रखने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर क्यों पार्टी ने फिर से डोटासरा पर भरोसा जताया है. जानकारों का कहना है कि डोटासरा शेखावाटी रीजन से आते हैं जहां कांग्रेस की परफॉर्मेंस काफी अच्छी रही है और वह बीजेपी-आरएसएस से सीधी टक्कर लेते हैं. इसके अलावा कांग्रेस हाईकमान उन्हें प्रदेश में एक बड़े जाट नेता के रूप में स्थापित करना चाहता है. आइए समझते हैं कि आखिर क्यों डोटासरा को पीसीसी चीफ पद पर कायम रखा गया.
शेखावाटी में डोटासरा का है खासा प्रभाव
डोटासरा शेखावाटी बेल्ट से आते हैं ऐसे में उन्होंने कांग्रेस को झुंझुनूं, सीकर और चुरू में लगातार मजबूत बनाए रखा है. वहीं विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को हार मिली हो लेकिन इन इलाकों में कांग्रेस को अच्छी खासी सीटें मिली हैं. ऐसे में लोकसभा चुनावों में जाट समुदाय के वोटबैंक को देखते हुए कांग्रेस ने गोविंद सिंह डोटासरा को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाए रखा है.
मालूम हो कि जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट ने बगावत की थी तो उस दौरान पायलट को हटाकर गोविंद सिंह डोटासरा को पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी दी गई थी. डोटासरा पार्टी में तेज तर्रार नेताओं में जाने जाते हैं और बीजेपी पर सियासी हमला करने में भी उनका कोई सानी नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस जाट-दलित के समीकरण पर आगे बढ़ना चाहती है.
आलाकमान ने जारी रखी परिपाटी
मालूम हो कि राजस्थान में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत मिलने के बाद सरकार बनी थी और उस समय सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन इसके कुछ समय बाद हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पायलट ही कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहे थे. हालांकि उस समय भी पीसीसी चीफ बदलने की मांग हुई थी.ऐसे ही अब भी जब 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार मिली है तो पार्टी ने पिछली बार की परिपाटी को बरकरार रखते हुए लोकसभा चुनावों में पीसीसी चीफ को बरकरार रखा है.