Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में गहलोत सरकार ने हाल में नए जिलों की घोषणा करने के बाद नोटिफिकेशन जारी किया जिसके बाद सूबे का नक्शा बदलने के साथ ही प्रदेश 50 जिलों का बन गया लेकिन प्रदेश में आने वाले कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पुराने जिलों के हिसाब से ही होंगे.
मिली जानकारी के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनावों के लिए पुराने जिलों के अनुसार राज्य में 33 जिला निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करने का फैसला लिया है. वहीं सरकार की ओर से नए जिलों में लगाए गए कलेक्टर भी पुराने जिलों के कलेक्टर के अधीन रहकर चुनावी प्रक्रिया में अपना योगदान देंगे.
वहीं मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने जानकारी दी कि पुराने जिलों के कलेक्टरों के हाथों में चुनावों की पूरी जिम्मेदारी दी जाएगी. इधर 33 जिलों के कलेक्टरों के लिए चुनाव को लेकर विशेष ट्रेनिंग गुरुवार से शुरू हो गई है जहां जयपुर के ओटीएस में दो दिन तक यह ट्रेनिंग चलेगी.
एक पोलिंग बूथ पर मैक्सिमम 1425 वोटर्स
चुनाव आयोग के मुताबिक नॉमिनेशन भरवाने से लेकर काउंटिंग और रिजल्ट जारी करने तक की सभी जिम्मेदारी 33 जिलों के कलेक्टर की ही होगी. वहीं अन्य व्यवस्थाओं के लिए यह कलेक्टर अपने अधीन जिलों के कलेक्टर को नई जिम्मेदारी दे सकते हैं.
इसके अलावा आयोग ने सभी जिलों के निर्वाचन अधिकारियों को प्रस्ताव भिजवाया है जहां हर एक बूथ पर अगर 1425 से ज्यादा मतदाता है तो उन बूथों को बदलकर नए बूथ बनाए जाएंगे. वहीं वर्तमान में 200 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 51 हजार 756 पोलिंग बूथ हो गए हैं.
2 किलोमीटर में होगा पोलिंग बूथ
वहीं आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि मतदाताओं की सुविधा के लिए पोलिंग बूथ की दूरी को भी 2 किलोमीटर से कम की जाए जहां वोटर्स को वोट देने के लिए अपने घर से दूर नहीं जाना पड़े. इसके अलावा अगर जिलेवार पोलिंग बूथों की संख्या देखें तो 33 जिलों में से सबसे कम पोलिंग बूथ प्रतापगढ़ जिले में है जहां दो विधानसभा सीट (धरियावद और प्रतापगढ़) के लिए 560 पोलिंग स्टेशन हैं.