Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते अगले कुछ दिन में आचार संहिता लागू हो सकती है। बीजेपी और कांग्रेस ने पूरे जोर-शोर से चुनावी मैदान में दम दिखाना शुरू कर दिया है। राजस्थान में पिछले 30 में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस सत्ता काबिज हो रही है। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दल भी दमदारी से साथ मैदान में उतर रहे हैं। पांच दलों का यह तीसरा मोर्चा प्रदेश में 50 सीटों का गणित बिगाड़ सकता है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, बीएसपी, आरएलपी, भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी), माकपा और एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के नेता तो 100 से ज्यादा सीटों पर टक्कर बता रहे हैं। अगर ये पार्टियों ऐसा करने में कामयाब रही तो इनका सरकार बनाने में किंगमेकर साबित हो सकती हैं।
200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी आप, गंगानगर में खासा खुलने की उम्मीद
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में 140 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। लेकिन राष्ट्रीय दल बनने के बाद आप पूरी तरह जोश के साथ मैदान में उतर रही है। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के कारण पार्टी कैसे चुनाव लड़ेगी यह तस्वीर अभी साफ नहीं है। लेकिन पार्टी से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि विशेषतौर से गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, झुंझुनूं और अलवर जिलों में पाअभ्र् खुद को मजबूत मान रही है। सभी सीटों पर टिकट तय हो गए हैं बस घोषणा ही बाकी है। पार्टी ने गंगागनर में खाता खुलने की उम्मीद जताई है।
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AIMIM इन सीटों से मैदान में उतरेगी
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी पहली बार राजस्थान के चुनावी दंगल में उतरने की तैयारी में हैं। ओवैसी राजस्थान की मुस्लिम सीटों पर प्रभाव डालना चाहती है। राजस्थान में ऐसी 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटे हैं, जहां औवेसी अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। प्रदेश के 18 जिलों में करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या चुनाव हार जीत में अहम रोल निभाती है। जयपुर, अजमेर, बाड़मेर, कोटा, सीकर, झुंझुनूं, चुरू, अलवर, भरतपुर, नागौर जिलों में स्थित सीटों पर हर चुनाव में 16 के आस पास मुस्लिम प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इन जिलों में शामिल करीब 24 सीटों पर मुस्लिम वोटर का समर्थन और नाराजगी चुनाव परिणाम प्रभावित कर देते हैं।
RLP 55 सीटों पर मजबूत
हनुमान बेनीवाल की पार्टी RLP भी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। 2018 में RLP ने 58 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से तीन सीट जीतने में कामयाब रही थी। वहीं 7 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। मगर इस बार RLP पूरे 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। नेताओं का मानना है कि 55 ऐसी सीटें हैं जिन पर पार्टी मजबूत स्थिति में है। इसमें खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान की सीटें हैं। बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, पाली , बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, सीकर और जयपुर ग्रामीण जैसे शामिल हैं। वहीं कुछ सीटें उदयपुर, चित्तौगड़गढ़ और भीलवाड़ा की भी हैं। RLP का विशेष फोकस जाट बाहुल्य सीटों पर है।
आदिवासी सीटों पर गणित बिगाड़ सकती है भारतीय आदिवासी पार्टी
भारतीय आदिवासी पार्टी राजस्थान के आदिवासी इलाकों में बीजेपी और कांग्रेस के गणित को बिगाड़ सकती है। पिछले चुनाव में बीटीपी 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 2 सीटों पर जीत मिली थी। पार्टी का दावा है कि इस बार 17 सीटों पर चुनाव लडेंगे। इनमें उदयपुर ग्रामीण, खेरवाड़ा, झाड़ोल, सलूंबर, डूंगरपुर, आसपुर, चौरासी, घाटोल, सागवाड़ा, बागीदौरा, बांसवाड़ा, गढ़ी, कुशलगढ़, प्रतापगढ़, धरियावाद, पिंडवाड़ा की आदिवासी सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेंगी। इनमें से 10 से 12 सीटों पर पार्टी को सफलता मिल सकती है।
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बसपा 60 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार
बहुजन समाज पार्टी ने अब तक सबसे ज्यादा 6 सीटें जीती थीं। मगर पार्टी के छह के छह विधायक चुनाव जीतते ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पार्टी के पदाधिकारियों को मानना है कि बसपा इस राजस्थान में किंगमेकर बनकर उभरेगी। पार्टी ने अब तक 6 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। इनमें नगर, नदबई, धौलपुर, तिजारा, करौली और खेतड़ी सीटें शामिल हैं। इस बीएसपी की 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। इसमें भरतपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, सवाई माधौपुर, दौसा, झुंझुनूं, चूरू, हनुमानगढ़ जिलों की सीटें हैं।