Bharatpur-Dholpur Jat Movement: राजस्थान में एक बार फिर बड़े आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जिले के जाट समुदाय के लोग केंद्र से ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसके लिए 7 जनवरी को जाट महापंचायत का आयोजन किया गया था। इस महापंचायत में सरकार को अल्टीमेटम दिया गया कि अगर 10 दिन के भीतर सरकार शांतिपूर्ण तरीके से इस पर फैसला नहीं लेती है तो पूरा जाट समुदाय आंदोलन का रास्ता अपनाएगा।
लंबे समय से चल रही आरक्षण की मांग
नेम सिंह फौजदार का कहना है कि वर्ष 2013 में केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार बनी। केंद्र ने भरतपुर धौलपुर जिलों और अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी आरक्षण दिया था, लेकिन 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट की मदद से 10 अगस्त 2015 को केंद्र और राज्य में भरतपुर-धौलपुर के जाटों का ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 23 अगस्त 2017 को प्रदेश के दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दे दिया गया, लेकिन केंद्र में ओबीसी में आरक्षण की हमारी मांग तभी से जारी है।
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने लिखा था केंद्र को पत्र
सितंबर 2021 में जब जाटों ने चक्का जाम का ऐलान किया था तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 दिसंबर 2021 को दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिशी पत्र लिखा था. इसके बाद हम दिल्ली ओबीसी आयोग से भी मिले और केंद्र सरकार के मंत्री से भी मिले, लेकिन अभी तक दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण नहीं दिया गया है।
सरकार को दी चेतावनी
महापंचायत में जाट नेता नेम सिंह ने चेतावनी दी कि सरकार के पास 10 दिन का समय है उन्हें शांति से फैसला लेना होगा। अगर इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो सड़क जाम कर दिया जायेगा। 17 जनवरी को उच्चैन के गांव जयचोली स्थित भरतपुर-मुंबई रेलवे लाइन बंद कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता विश्वेंद्र सिंह ने भी कहा कि 11 प्रतिनिधिमंडल सरकार से बातचीत करेंगे। इस दौरान बयाना रूपवास विधायक रितु बनावत ने कहा कि भरतपुर-धौलपुर के जाटों के लिए आरक्षण बहुत जरूरी है।