जयपुर। डॉक्टर्स की मांग मान लेने के बाद प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पास हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेशभर में डॉक्टर्स का आंदोलन लगातार छठे दिन भी जारी है। चिकित्सकों के इस आंदोलन को बड़े निजी अस्पतालों ने भी समर्थन दिया है। ऐसे में मरीज सिर्फ सरकारी अस्पतालों के भरोसे हैं, लेकिन यहां भी रेजिडेंट्स ने काम करना बंद दिया है। कार्य बहिष्कार से अस्पतालों के हालात बिगड़े हुए है। डॉक्टर्स के नहीं होने से चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई और मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल सहित प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेज से जुड़े रेजिडेंट्स ने आंदोलन के छठे दिन इमरजेंसी तक में मरीजों को नहीं देख रहे है।
डॉक्टरों की हड़ताल का असर एसएमएस अस्पताल में भी देखने को मिल रहा है। निजी अस्पताल बंद होने के कारण एसएमएस अस्पताल में भार बढ़ गया है। जिसके कारण मरीजों को बैड भी नही मिल रहा है। वहीं, जांचें भी अटक गई है। नर्सिंग स्टाफ मरीजों के प्रति जिम्मेदारी निभा रहा है और ड्यूटी के अलावा भी अधिक समय दे रहा है। लेकिन स्टाफ की कमी से परेशानी हो रही है।
मरीजों को परेशानी नहीं, नर्सिंग स्टाफ दे रहा अतिरिक्त समय
एसएमएस अस्पताल में आईसीयू फुल हो गया है। ऐसे में इलाज नहीं मिलने पर मरीज दूसरे राज्यों में जा रहे है। एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा ने कहा कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, इसके लिए सीनियर रेजिडेंट और फैकल्टी और अन्य डॉक्टर्स ने ओपीडी और इमरजेंसी में मरीजों को संभाल रहे है। एसएमएस में आने वाले मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई है। लेकिन, भार अधिक बढ़ जाने से स्टाफ को अतिरिक्त ड्यूटी देनी पड़ रही है।
डॉक्टरों के आंदोलन को मिला बड़े निजी अस्पतालों का साथ
डॉक्टरों के आंदोलन को बड़े निजी अस्पतालों ने भी समर्थन दिया है। जयपुर का संतोकबा दुर्लभ जी, सीके बिरला, ईएचसीसी, फोर्टिस, भगवान महावीर कैंसर, महात्मा गांधी, शेखावाटी, सीकेएस जैसे अस्पतालों में भी मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा हैं। यहां पर ओपीडी से लेकर इमरजेंसी व्यवस्थाओं को चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार के चलते बंद कर दिया गया है। वहीं, कुछ ऐसे निजी बड़े अस्पताल जो गुरुवार को खुले हुए थे और मरीजों का इलाज कर रहे थे, इन्हें भी चिकित्सक संगठनों की अलगअलग टीम ने पहुंच कर बंद करवा दिया है। इसके बाद से गुरुवार शाम से इन अस्पतालों में भी इलाज मिलना बंद हो गया। ऐसे में अब मरीज सिर्फ सरकारी अस्पतालों के भरोसे हैं, लेकिन यहां भी रेजिडेंट्स ने काम करना बंद दिया है।
मरीजों के साथ अब आमजन भी परेशान
जयपुर में मरीजों का इलाज नहीं कर उन्हें परेशान कर रहे डॉक्टर्स ने अब आमजन को परेशान करना शुरू कर दिया। आंदोलन में 5 दिन में डॉक्टर्स ने दूसरी बार सड़क को जाम किया। हाईकोर्ट ने आईटी फेस्ट में जेएलएन मार्ग को बंद करने को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर जयपुर पुलिस कमिशनर और ट्रैफिक डीसीपी से जवाब मांगा था। इसके बाद पुलिस ने जेएलएन मार्ग को खोल दिया था, लेकिन डॉक्टर्स ने गुरुवार को करीब 20 मिनट तक जेएलएन मार्ग को बंद रखा। इससे पहले स्टेच्यू सर्किल पर रास्ता रोका था, जिससे भी जाम लग गया था।