राइट टू हेल्थ बिल का विरोध : जयपुर में परिजनों के साथ डॉक्टर्स ने किया शक्ति प्रदर्शन, देशभर में निजी अस्पताल बंद

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में हफ्तेभर से आंदोलनरत डॉक्टर्स ने सोमवार को राजधानी जयपुर में शक्ति प्रदर्शन किया।

image 54 1 1 | Sach Bedhadak

जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में हफ्तेभर से आंदोलनरत डॉक्टर्स ने सोमवार को राजधानी जयपुर में शक्ति प्रदर्शन किया। जयपुर में हजारों की संख्या में डॉक्टर्स अपने परिवार के लोगों के साथ सड़क पर उतरे और सरकार के खिलाफ रैली निकाली। पैदल मार्च के दौरान डॉक्टर्स ने मेडिकल यूनिटी जिंदाबाद और NO TO RTH के जमकर नारे लगाए। रेजिडेंट डॉक्टर्स हॉस्टल पर पहुंचने के बाद रैली खत्म हुई। इसके बाद डॉक्टर्स प्रिंसिपल ऑफिस के लिए रवाना हो गए। इधर, राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में देशभर में निजी अस्पताल बंद रहे।

डॉक्टर्स का दावा है कि रैली में 37 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स शामिल हुए। कार्य बहिष्कार कर विरोध-प्रदर्शन कर रहे डाक्टर्स राइट टू हेल्थ बिल को गहलोत सरकार से वापस लेने की मांग कर रहे है। वहीं, राजधानी जयपुर सहित दूसरे जिलों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में सोमवार को भी रेजिडेंट्स हड़ताल पर है। जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पैदल मार्च में डॉक्टर्स के परिजन भी हुए शामिल

डॉक्टर्स का पैदल मार्च सुबह 11 बजे एसएमएस मेडिकल कॉलेज से शुरू हुआ। जिसमें प्रदेश भर से आए डॉक्टर्स के साथ-साथ उनके परिजन भी शामिल हुए। पैदल मार्च एसएमएस मेडिकल कॉलेज से शुरू होकर गोखले हॉस्टल मार्ग, सूचना केंद्र टोंक रोड, महारानी कॉलेज तिराहा, अशोक मार्ग, राजपूत सभा भवन, पांच बत्ती, एमआई रोड, अजमेरी गेट, न्यू गेट, अल्बर्ट हॉल होते हुए वापस मेडिकल कॉलेज पहुंचकर खत्म हुआ। इसके बाद डॉक्टर्स प्रिंसिपल ऑफिस के लिए रवाना हो गए।

कल दो बार हुई वार्ता में नहीं बनीं बात

इससे पहले रविवार को मुख्य सचिव और चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ता हुई, लेकिन यह बेनतीजा रही। सचिवालय में वार्ता करने पहुंचे डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के प्रतिनिधियों से पहली वार्ता में कहा कि वह चाहते है कि यह बिल नहीं आए। इसे सरकार वापस ले। यह कहकर चिकित्सकों का प्रतिनिधिमंडल सचिवालय से बाहर आ गया। मुख्य सचिव व अन्य लोगों ने इन्हें फिर से आग्रह कर भीतर बुलाया और कहा कि बातचीत के लिए तो बैठे। इसके बाद डॉक्टर्स के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने फिर से बात की, लेकिन दूसरी बार वार्ता के बाद भी डॉक्टर्स आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हुए।

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