Alwar Gang Rape : गैंगरेप का ऐसा दर्द…अस्पताल स्टाफ को नहीं छूने देती शरीर, मां-बाप को काटने दौड़ती है पीड़िता

Alwar Gang Rape : गैंगरेप का ऐसा दर्द…अस्पताल स्टाफ को नहीं छूने देती शरीर, मां-बाप को काटने दौड़ती है पीड़िता

girl jaipur | Sach Bedhadak

अलवर। बेटी 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी…वह पढ़ने में बहुत होशियार थी…हमेशा पढ़ाई 80 फीसदी से ज्यादा नंबर आते थे…कहती थी पढ़ाई कर डॉक्टर बनना है और खूब नाम कमाना है…लेकिन, तीन हैवानों की मेरी बेटी की ऐसी हालत कर दी है, जिससे कारण आज वहीं बेटी खुद डॉक्टरों से घिरी रहती है।

उसकी पढ़ाई छूट गई, सपने भी टूट गए। अब वह अपनी मां और भाइयों को भी नहीं पहचानती है। इतना कहते ही बेटी का इलाज करवा रहे एक बेबस पिता के आंखों से आंसू छलक उठे। जो 3 सालों से वो अपनी बेटी को ऐसी हालत में देख रहे है और बीते तीन सालों से वो अपनी बेटी का इलाज करवा रहे है। बेबस माता-पिता की बस एक ही इच्छा है कि उनकी बेटी का सही से इलाज हो जाए और वह जल्द ठीक हो जाए।

यह कोई फिल्म की कहानी नहीं बल्कि एक सच्चाई है। एक पिता अपनी बेटी का पिछले तीन सालों से इलाज करवाते टूट चुका है। यह घटना राजस्थान के अलवर जिले की है। 10 मई 2020 को वो मनहूस दिन जब तीन दरिंदे उनकी बेटी को घर से उठाकर ले गए। जिसके बाद तीनों दरिंदो ने उसकी 16 साल की नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप किया।

आरोपियों ने घटना का वीडियो भी बना लिया। आरोपियों की इस दरिंदगी के बाद पीड़िता गर्भवती भी हो गई और उसे हैवानियत का ऐसा आघात लगा कि वह मानसिक संतुलन खो बैठी। घटना के तीन साल बाद भी पीड़िता के दिलो-दिमाग में दरिंदगी की खौफनाक यादें ताजा हैं। उसे कभी भी पैनिक अटैक आ जाता है। अस्पताल स्टाफ ही नहीं कभी-कभी वह माता-पिता को भी नहीं पहचान पाती है। उन्हें मारने और काटने का प्रयास करती है। बेसुध हालत में बड़बड़ाती है कि उनके हाथ-पैर काट दो उन्हें मार दो।

हैवानों की दरिंदगी अब तक नहीं भुला पाई पीड़िता…

10 मई 2020 की दोपहर करीब 1 बजे 16 साल की प्रीति (बदला हुआ नाम) अपने अंकल के घर जा रही थी। रास्ते में तीन युवकों ने उसे अगवा कर लिया और सूनसान इलाके में मौजूद एक कमरे में ले गए। जहां तीनों युवकों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। तीनों आरोपियों ने बारी-बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया।

इस दौरान आरोपियों ने घटना का वीडियो भी बना लिया। पीड़िता के विरोध करने पर उसका सिर फर्श पर दे मारा, जिससे वह घायल हो गई। घटना के बाद तीनों आरोपी पीड़िता को बेसुध हालत में एक डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर फेंक कर फरार हो गए। होश आने पर उसने परिजनों के बारे में जानकारी दी, अस्पताल में भर्ती कराने के बाद डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है। इसके बाद से ही पीड़िता अपना दिमागी संतुलन खो बैठी। वह जब भी इस घटना को याद करती है तो उसके बाद बेसुध हो जाती है।

एक आरोपी को हुई सजा…

पुलिस ने केस दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू की। मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। एक आरोपी नाबालिग था, जिसे निरुद्ध किया गया था। पुलिस ने इस पूरे मामले में चार्जशीट बनाकर 40 दस्तावेज पेश किए और 22 लोगों को गवाह बनाया। जिसके आधार पर कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने एक आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई और 33 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। वहीं, नाबालिग आरोपी की सुनवाई जुवेनाइल कोर्ट में चल रही है। तीसरे आरोपी को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया गया।

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गैंगरेप के एक आरोपी को सजा हो गई, वो जेल में अपनी जिंदगी काट रहा है। दूसरा आरोपी बरी हो गया जबकि तीसरे नाबालिग आरोपी का केस अभी चल रहा है। लेकिन, घटना के 3 साल तीन महीने बाद भी पीड़िता उस दिन को भुला नहीं पाई है। दरिंदगी ने प्रीति से उसकी हसीन जिंदगी छीन ली।

कभी भी चिल्लाने लगती है-उनके हाथ-पैर काट दो…

पीड़िता के पिता ने बताया कि बेटी के साथ हुई दरिंदगी की घटना के बाद से ही वह बेसुध है। कभी-कभी थोड़े दिन के लिए सामान्य हो जाती है, लेकिन जैसे ही उसके साथ हुई हैवानियत की घटना याद आती है, फिर वही हरकतें करने लगती है। बेटी के साथ जब भी ऐसा होता है पिता उसे हॉस्पिटल लेकर जाते है। जहां पर बेसुध हालत में वह अस्पताल के स्टाफ को मारने और काटने के लिए दौड़ती है। दरिंदगी की घटना से आहत होने के बाद तो कई बार तो वह अपने पिता पर भी हमला कर देती है। कभी भी नींद में बचाओ-बचाओ चिल्लाने लग जाती है। नींद हमें बड़बड़ाती है कि उनके हाथ-पैर काट दो, उन्हें मार दो, वे दरिंदे हैं। उन्होंने बताया कि कई बार तो हम बेटी को खाना भी नहीं खिला पाते हैं, उसे भूखे ही रखना पड़ता है।

डॉक्टर बनना चाहती थी, अब खुद डॉक्टरों से घिरी…

प्रीति के पिता ने बताया कि जिस समय उनकी बेटी के साथ घटना हुई। उस समय वह 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी। वह पढ़ने में काफी होशियार थी। हमेशा 80 फीसदी से ज्यादा नंबर लाती थी। कहती थी पढ़ाई कर डॉक्टर बनना है और खूब नाम कमाना है। लेकिन, बीते तीन साल से वह खुद डॉक्टरों के चक्कर लगा रही है। उसकी पढ़ाई छूट गई, सपने भी टूट गए। कई बार तो वह अपनी मां और भाइयों को भी नहीं पहचानती है। उन्हें मारने और काटने की कोशिश करते हैं। अंजू की ऐसी हालत देखकर सभी परेशान हो जाते हैं।

इस बीमारी से पीड़ित है प्रीती…

अलवर जिला अस्पताल के साइकायेट्रिस्ट डॉ. नरेंद्र कुमार प्रीति का इलाज कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रीति साइकोसिस और पोस्ट क्रॉमेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित है। साइकोसिस में मरीज को नींद नहीं आती है। उसे डर लगता है और गुस्सा भी आता है। कई बार ऐसे मरीज घरवालों को भी नहीं पहचान पाते हैं। मारपीट भी करने लगते हैं। प्रीति के साथ भी ऐसा ही कुछ है। स्ट्रेस फ्री रहने, काउंसलिंग और नियमित दवाई से ही वह ठीक हो सकती है।

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