जयपुर। आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ (Dharmendra Rathore) एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हनुमान साबित हुए। मुख्यमंत्री गहलोत का आदेश मिलते ही राठौड़ तुरंत आंदोलनकारियों के संपर्क में आए और उनसे बातचीत कर समझौते का रास्ता निकालने के प्रयास में जुट गए। समय लगा, लेकिन राठौड़ आंदोलनकारियों को समझाने में सफल रहे। कर्मचारियों की मांगों को लेकर सहमति बनवाई और इस तरह लंबे समय से चल रहे मंत्रालयिक कर्मचारियों के आंदोलन का शांतिपूर्वक समापन करवाया।
सरकार के लिए सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन चुनावी साल में चुनौती बना हुआ था। मंत्रालयिक कर्मचारी दो महीने से भी ज्यादा समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर थे। राठौड़ 2020 से लगातार संकट मोचक की भूमिका निभाते आ रहे हैं। जब सरकार गिराने की कोशिश की गई तो उन्होंने उस समय भी सरकार बचाने के लिए अहम भूमिका निभाई।
ये खबर भी पढ़ें:-राजस्थान में बड़ा सामाजिक बदलाव, मंदिरों में ठाकुरजी की सेवा में दलित पुजारी
इसके बाद जब भी सरकार किसी भी आंदोलन को लेकर दुविधा में होती है ताे राठौड़ संकट मोचक के रूप में सामने आते हैं। यही नहीं उप चुनावों में भी मुख्यमंत्री गहलोत भरोसा कर उन्हें अलग से जिम्मेदारी सौंपते हैं, जिसमें वह सफल भी रहते हैं।
कर्मचारी नेता से राजनेता बने राठौड़ इन दिनों अजमेर को अपनी कर्मस्थली बना चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। आरटीडीसी अध्यक्ष बनने के बाद धर्मेंद्र राठौड़ ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
ये खबर भी पढ़ें:-Cyclone Biporjoy : चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ हुआ और खतरनाक, , NDRF मुस्तैद