राजस्थान विधानसभा में जब सीएम अशोक गहलोत ने बजट पेश किया था तब कहा गया था कि इसमें हर वर्ग का ध्यान रखा गया है और सभी वर्गों को कुछ न कुछ देने की कोशिश की गई है लेकिन शायद राज्य के कर्मचारियों को अपने लिए इस बजट में कुछ नहीं समझ आया। इसलिए अब कर्मचारियों ने 2 मार्च को राजस्थान में प्रदेश व्यापी आंदोलन करने की सरकार को चेतावनी दे डाली है।
दरअसल बीते सोमवार देर रात कर्मचारियों की सरकार से बातचीत हुई थी लेकिन इस बातचीत का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका, आज फिर सरकार से बातचीत तय है लेकिन इधर अब राजस्थान अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि अगर सरकार हमारी 21 सूत्रीय मांगे नहीं मानती है तो 2 मार्च को प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा।
बता दें कि इससे पहले भी 15 फरवरी को कर्मचारी महासंघ एकीकृत ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया था। तब गजेंद्र सिंह राठौर ने कहा था कि राज्य सरकार के बजट में कर्मचारी वर्ग को घोर निराशा दे दी है। सरकार ने बजट से पहले कर्मचारियों से भी सुझाव लिए थे लेकिन उन्हें बजट में शामिल नहीं किया गया। इसलिए मजबूरन हमें आंदोलन की राह चुननी पड़ रही है क्योंकि सरकार हमारे बारे में सोच ही नहीं रही है।
उन्होंने कहा था कि जयपुर के शहीद स्मारक पर प्रदेश भर से कर्मचारी आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे
यह कर्मचारियों की मुख्य मांगे
1- वेतन की विसंगति को दूर करने के लिए जो कमेटी गठित की गई है उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
2- चयनित वेतनमान एसीपी का लाभ 9, 18 और 27 साल की जगह 8, 16, 24 और 32 साल की पदोन्नति पद के बराबर हो।
3- ग्रेड पे 2400 और 2800 के लिए बनाए गया पे लेवल खत्म हो और उसे केंद्र के मुताबिक पे मैट्रिक्स 25500 से 81100 और 29200 से 92300 निर्धारित किया जाए।
4- मंत्रालयिक कर्मचारियों को सचिवालय कर्मचारियों के समान पदोन्नति का मिले।
5- कांग्रेस के घोषणापत्र के अनुरूप संविदाकर्मियों एवं सभी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
6- कर्मचारियों के लिए पारदर्शी स्थानांतरण नीति बने।
7- 10 प्रतिशत का ग्रामीण भत्ता मिले।
8- दो से ज्यादा संतान होने पर पदोन्नति से 5 वर्ष व 3 वर्ष वंचित किए जा चुके राज्य कर्मचारियों को उनकी पदोन्नति के बाद शुरुआती वरिष्ठता मिले।
9-अर्जित अवकाश की सीमा 300 दिन बढ़ाकर रिटायरमेंट तक जोड़ा जाए।
कर्मचारियों का यह आंदोलन गहलोत सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा क्योंकि कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं इसे देखते हुए सरकार को भी कुछ प्रभावी कदम उठाने को यह कर्मचारी मजबूर कर सकते हैं।