(दिनेश डांगी) : बेंगलुरु। कर्नाटक के चुनावी रण में उतरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 500 रुपए में गैस सिलेंडर और ओल्ड पेंशन स्कीम का दांव खेला है। गहलोत ने सोमवार को यहां कहा कि कर्नाटक में भाजपा की 40 परसेंट की सरकार से जनता त्रस्त है, कांग्रेस के पक्ष में माहौल है और यहां कांग्रेस सरकार बनने जा रही है। यदि सरकार बनती है तो जो योजनाएं हम राजस्थान में चला रखी है, उन्हें कर्नाटक में भी लागू करेंगे। गहलोत ने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम, चिरंजीवी योजना, राइट टू हेल्थ कानून, मनरेगा, शहरी रोजगार गारंटी योजना जैसी योजनाएं किसी राज्य में नहीं है।
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना को शुरू कर दी, लेकिन लोगों के पास सिलेंडर भरवाने के 1100 रुपए नहीं है। हम उन लाभार्थियों को 500 रुपए में घरेलू गैस सिलेंडर दे रहे हैं। कर्नाटक पीसीसी मुख्यालय में गहलोत ने मीडिया से कहा कि चिरंजीवी योजना में 25 लाख का बीमा किया है और 10 लाख का दुर्घटना बीमा है। ऐसी योजना देश में कहीं नहीं है। मनरेगा और शहरी रोजगार गारंटी योजना में 125 दिन का रोजगार दिया है। ओपीएस फिर से लागू की है। हिमाचल व छत्तीसगढ़ में भी इसे लागू किया है और दूसरे राज्य भी अनुसरण कर रहे हैं।
सोशल सिक्योरिटी देश में सबको मिले…
बने कानून गहलोत ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन को हमने मुद्दा बनाया है। सोशल सिक्योरिटी पर कानून बनना चाहिए। हम यह मांग लगातार कें द्र सरकार से कर रहे हैं। हम सामाजिक सुरक्षा सम्मान राशि के तौर पर वृद्धावस्था पेंशन दे रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि देश में राइट टू हेल्थ कानून लागू करने वाला राजस्थान अके ला राज्य है। हालांकि, इसे लेकर निजी चिकित्सकों ने हड़ताल की थी, लेकिन हमने उनसे बातचीत करके समस्या को सुलझा लिया है। देश में सबको स्वास्थ्य और शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।
भाजपा ने अपने वादे बताए जुमले
मुख्यमंत्री ने बीजेपी और पीएम मोदी पर निशाना साधा कि देश की जनता ने दो बार मोदी को पीएम बनाया, लेकिन वादों के मुताबिक न तो हर साल दो करोड़ रोजगार दिए और ना ही 15 लाख रुपए खाते में आए। बाद में उन्हें जुमले बता दिया गया। लेकिन हम जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा करते हैं। हमारे वादे जुमले नहीं होते।
गिराईं चुनी हुई सरकारें
गहलोत ने कहा कि भाजपा काम के आधार पर वोट नहीं मांगती, इन्होंने चुनी हुई सरकारों को हॉर्स ट्रेडिगं कर गिराने की योजना बना रखी है। एमपी, कर्नाटक, महाराष्ट्र में चुनी हुई सरकारें गिराई गईं। राजस्थान में भी प्रयास किया, लेकिन वहां इनका एजेंडा फेल हो गया।