जयपुर। आयुर्वेदिक पद्धति के जरिए अब कैंसर का उपचार किया जा सकेगा। दरअसल आयुष निदेशालय और एआईएमआईएल फार्मास्युटिकल इंडिया लि. के बीच जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संसथान में सोमवार को एमओयू (समझौता) हुआ। यह एमओयू एंटी-कैंसर आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन (वी2एस2) के विकास के लिए किया गया है।
आयुर्वेद से कैंसर रोधी परियोजना की शुरुआत राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के प्रो. शरद पोर्टे के निर्देशन में कई साल पहले नियमित शैक्षणिक गतिविधि के तहत प्रो. संदीप चरक द्वारा की गई थी। इसके बाद तैयार किए गए रसायनों को कैंसर और ट्यूमर के सुरक्षित एवं प्रभावी उपचार के रूप में पाया गया। परियोजना में एसीटीआरईसी की डॉ. ज्योति कोडे, टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर मुंबई और जम्मू- कश्मीर के आयुष निदेशालय के डॉ. संदीप चरक ने पूरे समर्पण के साथ परियोजना में सहभागिता निभा रहे हैं।
एआईएमआईएल फार्मास्युटिकल इंडिया लि. 1984 से ही आयुर्वेद के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है और पहले से ही किडनी में सूजन, गुर्दे की पथरी आदि के उपचार में हर्बल उत्पादों में योगदान दे चुका है। उन्होंने कैंसर आयुर्वेदिक फार्मूलेशन की रिसर्च पर करीब 50 लाख रुपए का सहयोग दिया है। हर्बल अर्क वी2एस2 की एंटीकैंसर की तुलना एड्रियामाइसिन से की गई है, जो एक कीमोथेराप्यूटिक दवा है। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के दिशानिर्देशों के अनुसार इसका प्रायोगिक अध्ययन एसीटीआरीसी टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर, मुंबई में किया गया।
इसके लाभकारी परिणामों को कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है। एनआईए (डीयू) के उप-कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने इस अनुसंधान की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि इसके लाभकारी परिणाम आएंगे। एमओयू के लिए आयोजित समारोह में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के उप-कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, एआईएमआईएल फार्मास्युटिकल इंडिया लि. के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अनिल कुमार के साथ कई अतिथि मौजूद थे।