Jaipur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर को 22 सितंबर को दोबारा निलंबित करने के राज्य सरकार के आदेश को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में की गई प्रारंभिक जांच को भी रद्द कर दिया है और एक महीने के भीतर दोबारा जांच करने को कहा है। न्यायाधीश अनूप कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश मुनेश गुर्जर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिये। मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 28 नवंबर को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया
गौरतलब है कि जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर को एसीबी ने 4 अगस्त को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। जिसके बाद सरकार ने मेयर मुनेश गुर्जर को निलंबित कर दिया था। इस रिश्वत कांड में मेयर की संलिप्तता सामने आयी।
5 अगस्त को पहली बार निलंबित किया गया था
एसीबी ने 4 अगस्त 2023 को जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर के घर पर छापा मारा था। टीम ने मेयर के पति सुशील गुर्जर और दो दलालों को गिरफ्तार किया था। सुशील पर पट्टा बनाने के बदले 2 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप था। मेयर के घर पर तलाशी के दौरान 40 लाख रुपये कैश मिले, जिसके लिए नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी थी। इसके साथ ही एक दलाल के घर से 8 लाख रुपये नकद भी बरामद हुए। इसके बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर पद से निलंबित कर दिया।
हाईकोर्ट ने निलंबन पर रोक लगा दी थी
मुनेश गुर्जर ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 23 अगस्त को कोर्ट ने सरकार के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा कि सरकार प्रारंभिक जांच के बिना मेयर को निलंबित नहीं कर सकती है। इस निलंबन में सरकार द्वारा अपनायी गयी कानूनी प्रक्रिया पूरी तरह से गलत है। हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद मुनेश गुर्जर 24 अगस्त को अपने समर्थकों के साथ निगम कार्यालय पहुंचे और कार्यभार संभाला।