अजमेर। बिजय नगर कृषि मंडी प्रांगण में बुधवार को उस समय माहौल जयकारों से गूंज उठा जब सांसारिक जीवन को छोड़ चार मुमुक्षु बहनों से वैराग्य पथ को अंगीकार किया। नानेश पट्टधर जैन आचार्य विजयराज महाराज व चिंतनशील महासती वसुमति सहित 56 साधु-साध्वियों के सानिध्य और हजारों समाजबंधुओं की मौजूदगी में मुमुक्षु बहन बिजयनगर निवासी आंचल धम्माणी, बैल्लूर निवासी स्नेहा गोलेछा, किशनगंज बिहार निवासी डॉ. नेहा लोढ़ा व नागौर निवासी निशा कोठारी ने दीक्षा ग्रहण कर कम उम्र में ही घर-परिवार त्याग कर संयमी जीवन की ओर कदम बढ़ाया।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ और नवकार परिवार के तत्वावधान में जैन भगवती दीक्षा महोत्सव के तहत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। दीक्षा महोत्सव के तहत मुमुक्षु बहनों का बिजयनगर शहर में वरघोड़ा भी निकाला गया। इस दौरान जगहजगह मुमुक्षु बहनों का सम्मान किया गया। उन्होंने संत आचार्य विजयराज से मंगल पाठ ग्रहण कर संयम पथ को स्वीकार किया। समाज की ओर से मुमुक्षु बहनों के परिजनों का अभिनंदन किया गया।
पिता का बिजनेस संभालती थी स्नेहा
सांसारिक जीवन का त्याग करने वाली स्नेहा गोलेछा ने में बताया कि वह एमबीए मार्केटिंग में करने के बाद अपने पिता का टेक्सटाइल कारोबार को संभालती थी। इसी दौरान महासती नेहाश्रीजी का चातुर्मास घर के पास ही हुआ और वहां जाना-आना शुरू हुआ। इस दौरान सांसारिक माया-मोह से मन हट गया और धर्म के मार्ग पर चलने का निर्णय किया। इसके बाद पिता को कारोबार को छोड़ महासति नेहाश्रीजी का हाथ थाम लिया। चातुर्मास के पश्चात जिस दिन उनका विहार हुआ उसी ठान लिया मुझे भी संयम पथ पर चलना है। स्नेहा ने कहा कि करीब 7 वर्ष बाद वह स्वर्णिम पल मेरे करीब है जब में दीक्षा को अंगीकार कर रही हूं।
संयम जीवन का आधार
बिजयनगर निवासी सुश्री आंचल धम्माणी बीए संस्कृत में व्यवहारिक शिक्षा हासिल करने के बावजूद संसार का त्याग कर संयम पथ की ओर अग्रसर हैं। बस इसी सोच के साथ नानेश पट्टधर एवं साध्वी भगवंतों की निश्रा मिली और निश्रा में रहकर संयम पथ को चुन लिया। संपूर्ण दीक्षा महोत्सव कार्यक्रम के दौरान पुलिस प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की थी। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ओर ताराचन्द पवन कु मार बोहरा सहित सभी नवकार परिवार ने आभार जताया है।
B.COM, LLB की, फिर भी छोड़ दिए सांसारिक सुख
नागौर निवासी मुमुक्षु निशा कोठारी ने बीकॉम, एएलएलबी व आरजेएस करने के बावजूद सांसारिक मोह माया से दरू रहकर संयम पथ पर आरूढ़ होने का निर्णय किया। मुमुक्षु निशा ने कहा, दुनिया देखी और शिक्षा ग्रहण की लेकिन मुझे संत-साध्वियों का सानिध्य और दीक्षा का मार्ग ही रास आया। संयम की राह पर ही आत्मिक सुकून और परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है, इसलिए वैराग्य धारण कर रही हूं।