जयपुर। राजस्थान के सबसे बड़े हॉस्पिटल सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS) मेडिकल कॉलेज से जुड़े शास्त्री नगर स्थित कावंटिया अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स पर की गई कार्रवाई के विरोध में रेजिडेंट चिकित्सक हड़ताल पर चले गए है। जिससे अस्पतालों में आने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ गई।
निर्दोष पीजी छात्रों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की
जानकारी के अनुसार, कांवटिया अस्पताल में गर्भवती महिला के गेट पर हुए प्रसव के बाद चिकित्सा विभाग ने अस्पताल में कार्यरत रेजीडेंट चिकित्सकों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था। जिसके बाद अब रेजीडेंट चिकित्सक इस कार्रवाई के विरोध में उतर गए हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने कार्य बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। मामले को लेकर जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) का कहना है कि कांवटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का लेबर रूम के बाहर अस्पताल परिसर में प्रसव होने के प्रकरण में निर्दोष पीजी छात्रों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है।
एसोसिएशन का कहना है कि इस कार्रवाई से सभी पीजी छात्र बहुत हतोत्साहित हैं और कार्य पर जाने पर डर महसूस कर रहे हैं, सबको लग रहा है कि उन्हें कभी भी किसी भी मामले में झूठा उलझाकर सस्पेंड किया जा सकता है। जार्ड का कहना है की इस प्रकरण में पीजी छात्रों के ऊपर कोई भी प्रोफेसर गाइनेकोलॉजिस्ट मौजूद नहीं था। प्रकरण में जब प्रसूता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई और पीजी छात्रों को पता चला तब उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसके लिए ट्रॉली भेजी और लेबर रूम के अंदर लिया और नियमानुसार उसका इलाज छात्रों ने अपनी क्षमता के आधार पर किया।
जार्ड का कहना है कि जिस प्रकार इस प्रकरण में केवल तीन पीजी छात्रों को निलंबित किया गया है वह किसी भी तरीके से सही नहीं है इससे सभी रेजीडेंटो में रोष व्याप्त है। जार्ड का कहना है की पूर्व में भी दो निर्दोष रेजिडेंट्स को एपीओ कर दिया गया था, जो आज तक एपीओ हैं, जबकि असली गुनाहगारों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में हमारी मांग है की सभी रेजिडेंट चिकित्सकों पर की गई कार्रवाई को रद्द किया जाए और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक कोई भी रेजिडेंट अस्पताल में कार्य नहीं करेगा।
रेजीडेंट चिकित्सकों को किया गया था निलंबित
बता दें कि कावंटिया अस्पताल में गर्भवती महिला का खुले में प्रसव होने के प्रकरण में दोषी पाए गए तीन रेजीडेंट चिकित्सकों डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ. मनोज को चिकित्सा विभाग की ओर से निलम्बित कर दिया गया है। साथ ही राज्य सरकार ने प्रकरण में पर्यवेक्षणीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा शुभ्रा सिंह ने बताया था कि प्रकरण सामने आने पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार रेजीडेंट डॉक्टर डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत एवं डॉ.मनोज की गंभीर लापरवाही एवं संवेदनहीनता सामने आई है, जिसके बाद इन तीनों रेजीडेंट चिकित्सकों को निलम्बित किया गया था। साथ ही लापरवाही के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।