Rajasthan Election 2023 : राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों में से एक झालावाड़ जिले की झालरापाटन विस सीट को बीजेपी का अभेद्य किला माना जाता है। यहां बीजेपी 35 साल से जीत का परचम लहरा रही है। हालांकि, एक बार ही ऐसा मौका आया जब कांग्रेस को जीत मिली। पिछले 20 साल से ये सीट कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस कौनसा दांव खेलेगी? वैसे यह तो साफ है कि कांग्रेस को यहां से मजबूत प्रत्याशी घोषित करना पड़ेगा। हालांकि, हार मिलेगी या जीत, ये तो इस क्षेत्र के करीब 3 लाख वोटर्स ही फाइनल करेंगे।
ये है बीजेपी गढ़, राजे चार बार बनी विधायक
झालरापाटन विधानसभा को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का काफी प्रभाव है। राजे झालरापाटन से 4 बार बड़े अंतर से जीतकर विधायक चुनी गई। वसुंधरा राजे ने पहली बार साल 2003 में इस सीट से विस का चुनाव लड़ा था और कांग्रेस की रामा पायलट को 27375 वोटों से हराकर राजे विधायक चुनी गई थी। इससे पहले राजे 1985 में धौलपुर विस से विधायक रह चुकी थी। साल 2008 में राजे ने मोहन लाल को 32581 वोट से हराकर जीतकर जीत दर्ज की थी। साल 2013 में राजे ने कांग्रेस की मिनाक्षी चन्द्रावत को करीब 90 हजार वोटों से हराया था। वहीं, साल 2018 में कांग्रेस के मानवेन्द्र सिंह को 34980 वोटों से हराकर राजे चौथी बार इस सीट से विधायक चुनी गई।
जिसका इस क्षेत्र में दबदबा…कैसा है उसका राजनीति करियर?
वसुंधरा राजे वर्तमान में बीजेपी की उपाध्यक्ष हैं और झालरापाटन सीट से विधायक है। राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री भी रह चुकी है। मुंबई में 8 मार्च 1953 को जन्मी वसुंधरा राजे का विवाह धौलपुर के एक जाट राजघराने में हुआ। राजे ने बीजेपी का दामन थामने के बाद पहली बार साल 1984 में एमपी के भिंड लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन, हार मिली। इसके बाद 1985 में धौलपुर जिले के ढोलपुर से विधायक बनी। वो झालावाड़ से 5 बार लोकसभा सांसद भी रह चुकी है।
कुछ ऐसा है जातीय समीकरण
झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 97 हजार 21 मतदाता हैं। इनमें 1 लाख 51 हजार 227 पुरुष, 1 लाख 45 हजार 790 महिला और 4 समलैंगिक मतदाता हैं। यहां वैसे तो मुस्लिम वोटर्स काफी ज्यादा है। लेकिन, राजपूत समाज के लोगों का भी काफी दबदबा है। इसके अलावा डांगी समाज के करीब 20 हजार, अनुसूचित जाति के करीब 35 हजार, अनुसूचित जनजाति के करीब 10 हजार, ब्राह्मण समाज के करीब 28 हजार, गुर्जर समाज के करीब 22 हजार और पाटीदार समाज के करीब 30 हजार वोटर्स है। लेकिन, खास बात ये है कि वसुंधरा राजे की इस क्षेत्र में सभी जाति पर पकड़ मजबूत है।
1990 से अब तक का चुनावी इतिहास
साल 1990 से अब तक की बात करें तो सिर्फ एक बार ही कांग्रेस को जीत मिली। साल 1998 में कांग्रेस के मोहन लाल ने बीजेपी प्रत्याशी अनंग कुमार को 3314 वोटों से हराकर जीत हासिल की। इसके अलावा हर बार बीजेपी को ही जीत मिली है। 1990 और 1993 में झालरापटन विधानसभा सीट से बीजेपी के अनंग कुमार दो बार विधायक चुने गए। हालांकि, 1998 में कांग्रेस को जीत मिली। इसके बाद 2003 से 2018 तक बीजेपी को लगातार जीत मिल रही है और राजे ही विधायक बनी है।
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