Bharatpur Jat Reservation in Rajasthan: राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है. आरक्षण की मांग पर इतिहास में कई आंदोलन का गवाह बने राजस्थान के पूर्वी हिस्से में फिर एक समुदाय के लोग सड़कों पर है. मिली जानकारी के मुताबिक भरतपुर-धौलपुर के जाटों ने केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर के जयचौली रेलवे स्टेशन के पास अपना महापड़ाव डालते हुए 22 जनवरी तक का अल्टीमेटम जारी कर दिया है. बताया जा रहा है कि 22 जनवरी तक गांधीवादी रास्ते से सरकार तक बात पहुंचाई जाएगी और इसके बाद आंदोलन उग्र करने की भी चेतावनी दी गई है.
इस आंदोलन के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि भरतपुर और धौलपुर के जाटों को राज्य में आरक्षण मिला हुआ है लेकिन केंद्र में वह अपने ओबीसी में प्रतिनिधित्व को लेकर आज भी संघर्षरत हैं. बता दें कि इन दो जिलों के जाटों की यह मांग 1998 से चल रही है.
इधर 2013 में जब केंद्र में यूपीए सरकार थी तो 9 राज्यों सहित भरतपुर और धौलपुर के जाटों को आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया था लेकिन 2015 में आई बीजेपी सरकार ने इसे खत्म कर दिया. इधर राजस्थान की बात करें तो 2017 में जब राज्य में वसुंधरा सरकार थी तो राज्य में आरक्षण मिल रहा था लेकिन केंद्र से तब और अब भी खाली हाथ ही हैं
राज्य के सिर्फ 2 जिलों के जाट आरक्षण से अछूते!
दरअसल भरतपुर और धौलपुर के जाट समुदाय के लोग केंद्र के मुताबिक ओबीसी कोटा चाहते हैं क्योंकि राजस्थान के सिर्फ दो जिले भरतपुर और धौलपुर को छोड़कर सभी जिलों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया गया है. वहीं इन दोनों जिलों से लोगों की आरक्षण की मांग 1998 से लगातार चल रही है.
वहीं केंद्र में जब मनमोहन की सरकार आई तो भरतपुर और धौलपुर के जाटों सहित अन्य नौ राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का फायदा पहुंचाया था लेकिन 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेते हुए 10 अगस्त 2015 को भरतपुर और धौलपुर की जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी का आरक्षण खत्म कर दिया था.
गहलोत ने भी लिखी थी चिठ्ठी
वहीं भरतपुर और धौलपुर के जाट आरक्षण की मांग पर इसलिए उतरे हैं कि वर्तमान में केंद्र और राजस्थान में भी बीजेपी की सरकार है ऐसे में भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज के लोग उन्हें केंद्र में ओबीसी आरक्षण दिलवाने की मांग कर रहे हैं. मालूम हो कि इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को भरतपुर और धौलपुर के जाटों को ओबीसी आरक्षण लाभ देने के लिए सिफारिश करते हुए एक चिट्ठी भी लिखी थी.