जयपुर- करीब 300 करोड़ रुपए की बेशकीमती जमीन का नामांतरण गलत तरीके से खोलने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने तहसीलदार समेत पांच कर्मचारी-अफसरों के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की तैयारी की है। इस मामले में एसीबी ने आरोपियों के खिलाफ जयपुर कलेक्टर का पत्र लिखकर स्वीकृति मांगी है।
जमीन की वर्तमान बाजार कीमत 300 करोड़ रुपए से ज्यादा मानी जा रही है, लेकिन जब नामांतरण खुलने के बाद जमीन का बेचान किया गया तो इसकी विक्रय मूल्य 20 करोड़ रुपए दर्शाया गया, जो रीको की आरक्षित दर के बराबर है। इस तरह सरकार को इस जमीन के बेचान से मिलने वाली स्टाम्प ड्यूटी में भी भारी नुकसान हो रहा था।
ट्राइटन मॉल के पास स्थित 18 बीघा 7 बिस्वा जमीन का नामांतरण तहसीदार कोर्ट के निर्णय के बाद खोला गया, जबकि यह जमीन स्टार्च फैक्ट्री के नाम थी और तहसीलदार कोर्ट ने नामांतरण व्यक्ति विशेष के नाम कर दिया।
यह हो चुके हैं सस्पेंड, अब एसीबी करेगी कार्रवाई
इस मामले में रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने जयपुर तहसीलदार संदीप बैरड़ को पद से निलंबित कर दिया था। गलत नामांतरण खोलने के मामले में जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने भी नायब तहसीलदार सीताराम जाट, भू अभिलेख निरीक्षक मनोज फौजदार,पटवारी महेंद्र सिंह शेखावत, पटवारी एलआरसी गायत्री आसीवाल (आरपीजी), लीव रिजर्व आईएलआर प्रमोद शर्मा को निलंबित किया था। अब इस मामले में प्रारंभिक जांच के बाद आरोप प्रमाणित होने के बाद एसीबी मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई करेगी।
ये था पूरा मामला
भरतसिंह की 1964 में मृत्यु होने के बाद उनके वारिसान जयसिंह, वीरेन्द्र सिंह, मीना देवी, संतोष जैन, बेला गुप्ता, संजीव कुमार और रितू कुमार ने जमीन पर अपना हक जमाते हुए इस मामले का नामांतरण खोलने के लिए जयपुर तहसीलदार कोर्ट में एक याचिका लगाई। इस कोर्ट में विपक्षी पक्ष रतन सिंह ने भी आपत्ति जताई।
साल 2022 में दर्ज हुए विवाद की सुनवाई पूरी होने के बाद तहसीलदार ने वारिसान के पक्ष में फैसला करते हुए जमीन का नामांतरण वारिसान के पक्ष में खोलने के आदेश जारी कर दिए। इसी आदेशों के आधार पर वारिसों के नाम विरासत के आधार पर नामांतरण खोला दिया। इससे सरकार को मिलने वाली स्टाम्प ड्यूटी भी बच गई।
गलत नामांतरण खोलने की बात आई है सामने
एसीबी जयपुर के डीआईजी डॉ रवि ने बताया कि जमीन का गलत नामांतरण खोलने की बात सामने आई है। इस मामले में प्रशासन द्वारा कई अफसर-कर्मचारियों को निलंबित भी किया था। अब एफआईआर दर्ज करने के लिए कलेक्टर से स्वीकृति मांगी है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।