जयपुर: राजस्थान में बिपरजॉय तूफान लगातार कहर बरपा रहा है जहां सूबे के कई इलाकों में भारी नुकसान होने के साथ ही जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं सीएम गहलोत मंगलवार को बाढ़ और तूफान प्रभावित इलाकों का दौरा कर हालातों का जायजा लेंगे. इस बीच राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से हुई तबाही एवं नुकसान से पीड़ित लोगों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज घोषित करते हुए मृतकों को 10 लाख रूपए व घायलों को 5 लाख रूपए का मुआवजा देने के साथ ही शीघ्र ही टास्क फोर्स का गठन करने की मांग की है.
राठौड़ ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा प्रदेश के 5 जिलों बाड़मेर, जोधपुर, जालोर, नागौर व पाली में चक्रवाती तूफान, भारी बारिश के साथ बिपरजॉय का रेड अलर्ट पहले ही जारी कर दिया था और प्रदेश के अन्य 16 जिलों में भी बारिश के साथ तेज गति की हवा के कारण ऑरेंज/ येलो अलर्ट जारी किया गया था लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मौसम विभाग की पूर्व चेतावनी के बाद भी प्रशासनिक तौर पर किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई.
तूफान में दिखी सरकारी स्तर पर बदइंतजामी
राठौड़ ने कहा कि चक्रवाती तूफान से राज्य के कई इलाकों में 40 घंटे से बारिश जारी है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं जहां बाड़मेर, सिरोही, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, पाली, अजमेर, कोटा सहित कई जिलों में तेज बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. वहीं तूफान के कारण प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर 7 लोगों की मौत हुई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि बिपरजॉय तूफान को लेकर भारी जान-माल का पूर्वानुमान होने के बावजूद सरकारी स्तर पर बदइंतजामी का आलम इतना रहा है कि जगह-जगह निचले इलाके पानी में डूब गए और अजमेर के सबसे बड़े जेएलएन हास्पिटल के वार्डों में मरीजों के बैड तैरते नजर आ रहे हैं, जिनके फुटेज एवं वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें कुप्रबन्धन दिख रहा है.
सरकार ने जारी की सिर्फ कागजी एडवाइजरी
राठौड़ ने आगे कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि चक्रवात तूफान को लेकर राज्य सरकार ने आपदा से निपटने के लिए प्रभावी इंतजाम करने के बजाय सिर्फ कागजी एडवाइजरी जारी कर खानापूर्ति की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ना तो किसी टास्क फोर्स का गठन किया है और ना ही निचले इलाकों में भारी बारिश का पानी जाने से रोकने व प्रभावितों को अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने तथा पुर्नवास की कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जालोर जिले के सांचौर में सुरावा व पांचला बांध टूटने से कई इलाके डूब गए हैं, बांध टूटने से नर्मदा लिफ्ट कैनाल में पानी बढ़ने से वह भी टूट गई है और सांचौर में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं. वहीं आपदा प्रबन्धन एवं राहत एक पृथक मंत्रालय होने के बावजूद आपदा राहत मंत्री एवं उच्चाधिकारियों द्वारा ना तो प्रदेश में बचाव राहत कार्यों के निरीक्षण हेतु प्रभावित जिलों के दौरे किए गए और ना ही तूफान से पहले की व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया.